साइबेरिया में मिला वायरस 50 हजार साल बाद फिर से जिंदा, बर्फ में दबा था 'भूत'
जो जमीन निकल रही है, वह करोड़ों साल से दबी हुई थी और उसमें 'भूतिया' बैक्टीरिया या वायरस अभी भी हो सकता है।
मास्को: अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक दल ने दुनिया के सबसे प्राचीन वायरस को फिर से जिंदा कर दिया है। यह वायरस करोड़ों साल से रूस के बर्फ से जमे साइबेरिया इलाके में मिला था। बताया जा रहा है कि यह वायरस करीब 50 हजार साल पुराना है। इन वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि साइबेरिया में पिघलती हुई बर्फ मानवता के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकती है। उन्होंने कहा कि ये वायरस अभी भी जिंदा जीवों को संक्रमित करने की क्षमता रखते हैं। रूस ने इन 'भूतिया' वायरस को लेकर चेतावनी दी है।
यही नहीं इस सबसे पुराने वायरस ने लैब के अंदर अमीबा को संक्रमित कर दिया। वैज्ञानिकों के दल ने कहा कि इन वायरस में से सबसे पुराना करीब 50 हजार साल पुराना था। वैज्ञानिकों की टीम के सदस्य जीन माइकल क्लावेरी ने कहा कि 48,500 साल विश्व रेकॉर्ड है। इस दल ने ताजा अध्ययन में कुल 7 प्राचीन वायरस का अध्ययन किया है। इस समूह में रूस, फ्रांस और जर्मनी के वैज्ञानिक भी शामिल हैं। इससे पहले वैज्ञानिकों ने 30 हजार साल पुराने दो वायरस को जिंदा किया था।
'भूतिया' बैक्टीरिया या वायरस का छिपे रहना अभी संभव
अन्य शोधकर्ताओं ने यह भी दावा किया है कि उन्होंने बैक्टीरिया को जन्म दिया है जो 25 करोड़ साल पुराना है। वैज्ञानिकों ने जिन वायरस को जिंदा किया है, वे सभी पंडोरावायरस श्रेणी के हैं। ये वायरस श्रेणी ऐसी होती है जिसमें एक कोशिका वाले जीवों जैसे अमीबा को संक्रमित करने की क्षमता होती है। हालांकि यह तथ्य है कि सभी 9 वायरस हजारों साल से बर्फ के नीचे दबे रहने के बाद भी अभी जिंदा कोशिकाओं को संक्रमित करने में सक्षम हैं। इस शोध के बाद वैज्ञानिकों ने यह भी चेतावनी दी है कि जो वायरस बर्फ के नीचे फंसे हैं, वे पौधों, पशुओं या इंसानों के लिए घातक हो सकते हैं।
माइकल क्लावेरी ने कहा, 'एक असली खतरा है।' उन्होंने यह भी कहा कि हर दिन कोई न कोई बैक्टीरिया और वायरस सामने आ रहे हैं। वैज्ञानिक ने कहा कि यह असंभव है कि अब तक पैदा हुए संभावित खतरे का आकलन किया जाए। इस बीच रूस ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से साइबेरिया में बर्फ का पिघलना जारी है जिससे दुनिया के लिए खतरा पैदा हो सकता है। रूसी वैज्ञानिक निकोलाय कोरचूनोव ने कहा कि बर्फ के पिघलने से जो जमीन निकल रही है, वह करोड़ों साल से दबी हुई थी और उसमें 'भूतिया' बैक्टीरिया या वायरस अभी भी हो सकता है।