म्यांमार में सेना के तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शनों के बीच हिंसा जारी, 12 की मौत
यह हमला म्यांमार के स्व-शासित क्षेत्र के पूर्व प्रमुख निकाय सदस्य के काफिले पर किया गया।
म्यांमार में सेना के तख्तापलट के बाद शनिवार को हुए एक सशस्त्र हमले में 12 लोगों की मौत हो गई। यह हमला म्यांमार के स्व-शासित क्षेत्र के पूर्व प्रमुख निकाय सदस्य के काफिले पर किया गया। मारे जाने वाले लोगों में नौ आम नागरिक और तीन पुलिसकर्मी शामिल हैं। इस बीच, देश में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ आंदोलन जोर पकड़ चुका है और प्रदर्शनकारियों में शिक्षक व छात्र भी शामिल हो गए हैं।
जानकारी के मुताबिक, जिस काफिले पर हमला हुआ वह देश के स्व-शासित क्षेत्र कोकांग में केंद्रीय कार्यकारी समिति के पूर्व सदस्य यू खिन माउंग ल्विन का था। माउंग ल्विन के काफिले पर म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी के 20 सदस्यों ने राजधानी लश्किओ से लउकाई के रास्ते पर यह हमला किया।
इसमें आठ आम नागरिक और पांच पुलिस कर्मी घायल भी हुए हैं। इस बीच, सेना ने सशस्त्र बलों के खिलाफ चलाए जाने वाले अभियान पर 28 फरवरी तक रोक लगा दी है। दूसरी तरफ, म्यांमार में गांधीवादी ढंग से सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू कर दिया है। इसके तहत शिक्षक और छात्र भी आंदोलन में शामिल हुए। उन्होंने यंगून के एक विश्वविद्यालय में गिरफ्तार नेता आंग सान सू की और अन्य के प्रति समर्थन जताया। प्रदर्शनकारी अपने कपड़ों पर लाल रिबन लगाए थे जो सू की की पार्टी का रंग है।
विरोध रोकने के लिए ट्विटर-इंस्टाग्राम पर भी पाबंदी
म्यांमार के सैन्य अधिकारियों ने तख्तापलट के बाद सोशल मीडिया पर पाबंदी का दायरा बढ़ाते हुए देश में ट्विटर और इंस्टाग्राम के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी है। एक बयान में कहा गया है कि कुछ लोग फर्जी खबरें फैलाने के लिए इन दोनों प्लेटफॉर्मों का इस्तेमाल कर रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के बाधित होने और उन्हें बंद किए जाने पर नजर रखने वाले नेटब्लॉक्स ने इस बात की पुष्टि की है कि रात दस बजे से ट्विटर सेवाएं बंद कर दी गई हैं। फेसबुक पर पहले ही पाबंदी लगाई जा चुकी है। म्यांमार में सरकारी मीडिया पर भी पैनी नजर रखी जा रही है।
तख्तापलट वापसी के लिए दबाव बनाएंगे : गुटेरेस
विश्व निकाय के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने एक बार फिर दोहराया है कि संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट करने और म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट को वापस लेने के लिए दबाव बनाने वाले हालात पैदा करने की हर संभव कोशिश करेगा। उन्होंने कहा, सेना को चाहिए कि वह नवंबर में हुए संसदीय चुनाव नतीजों का सम्मान करे और गिरफ्तार सभी नेताओं को रिहा करे।