यूगांडा में राष्ट्रपति चुनाव के बाद हिंसा और दमन का अंदेश, बड़े पैमाने पर तैनात किए सुरक्षा बल
अफ्रीकी देश यूगांडा में राष्ट्रपति चुनाव के बाद अब राजनीतिक अस्थिरता और दमन के हालात पैदा हो गए हैं।
अफ्रीकी देश यूगांडा में राष्ट्रपति चुनाव के बाद अब राजनीतिक अस्थिरता और दमन के हालात पैदा हो गए हैं। चुनाव में देश पर 35 साल से शासन कर रहे राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी को विजयी घोषित किया गया। ये लगातार छठे चुनाव में उनकी जीत है। लेकिन चुनाव में उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे बॉबी वाइन ने हार मानने से इनकार कर दिया है। उनका आरोप है कि चुनावी धांधली के जरिए मुसेवेनी को जिताया गया। चुनाव परिणाम घोषित होते हुए वाइन को उनके घर में नजरबंद कर दिया गया। उनके बंगले के बाहर बड़े पैमाने पर सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैँ।
निर्वाचन आयोग ने रविवार को कहा कि मुसेवेनी को 58.6 फीसदी वोट मिले। बॉबी वाइन को 34.8 फीसदी वोट मिले। इसके बाद वाइन ने अपने समर्थकों से अपील की कि वे हिंसा का सहारा ना लें। उन्होंने कहा कि उनकी टीम चुनाव नतीजे को कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि चुनाव में सामने आई खामियां जग-जाहिर हैं।
बॉबी वाइन 38 साल के हैं। वे संगीतकार रहे हैं। उनका असली नाम रॉबर्ट कयागुलानयी सेंतामू है। अपने संगीत के कारण वे देश में लोकप्रिय रहे हैं। इस बार चुनाव में उन्होंने मुसेवेनी को चुनौती दी थी। मैदान में उनके अलावा दूसरे उम्मीदवार भी थे। उनमें से भी कई ने चुनाव नतीजे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। एलायंस फॉर नेशनल ट्रांसफॉर्मशन पार्टी के नेता मुगिशा मुंतू ने एक ट्विट में कहा- अब अगले संघर्ष में शामिल होने का समय आ गया है। हम अपने ही देश में गुलाम की तरह नहीं रहेंगे। ये नतीजे पूरी तरह जाली हैं।
लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि चुनावी नतीजे को चुनौती देने की कोशिश सफल होगी, इसकी संभावना नहीं है। 2016 में भी तब के विपक्षी नेता किज्जा बेसिगये ने चुनावी नतीजे के खिलाफ याचिका दायर की थी। लेकिन कोर्ट का फैसला मुसेवेनी के पक्ष में रहा। राजनीतिक विश्लेषक अब्दुल्लाही बोरू हालांखे ने टीवी चैनल अल-जजीरा से कहा- कोर्ट में नाकामी के बाद सबसे संभव कदम यह होगा कि विपक्ष मामले को जनमत की अदालत में ले जाए। लेकिन इस मामले में भी यह याद रखना होगा कि बेसिगये के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियों ने कैसी सख्त कार्रवाई की थी। इस बार भी सुरक्षा एजेंसियां बॉबी वाइन और उनके समर्थकों के खिलाफ दमन का रुख अख्तियार करेंगी।
इस बार चुनाव प्रचार के दौरान अभूतपूर्व हिंसा हुई। विपक्षी रैलियों को अकसर सुरक्षा बलों ने कोरोना वायरस महामारी का बहाना बनाकर भंग कर दिया। कई विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया। नवंबर में विपक्ष ने दो दिन प्रदर्शनों का आयोजन किया, जिस दौरान विपक्ष के 50 से ज्यादा समर्थक मारे गए। इसके बावजूद विपक्ष इस बार मुसेवेनी की जीत को चुनौती देने पर अडिग है। नौजवानों में लोकप्रिय पार्टी नेशनल यूनिटी प्लेटफॉर्म ने कहा था कि अगर चुनाव में धांधली हुई, तो वह शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन आयोजित करेगी। राजनीतिक विश्लेषक हालांखे ने कहा- यूगांडा दुनिया के सबसे युवा देशों में एक है। यह सचमुच बड़ी चिंता की बात होगी, अगर बॉबी वाइन संघर्ष को सड़कों पर ले गए।
मुसेवेनी ने चुनाव में धांधली के आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा है कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष ढंग से कराए गए। साथ ही उन्होंने धमकी दी है कि किसी भी अशांति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि इस बार पुलिस पहले से तैयार है और प्रदर्शनकारियों के साथ सख्ती बरती जाएगी।
मतदान से एक दिन पहले यूगांडा सरकार ने दूरसंचार कंपनियों को इंटरनेट बंद कर देने का आदेश दिया था। वह आदेश रविवार तक लागू था। चुनाव नतीजों के एलान के तुरंत बाद राजधानी कंपाला में सुरक्षा बलों की बड़े पैमाने पर तैनाती कर दी गई। सुरक्षा बलों ने बॉबी वाइन के घर पर पत्रकारों के जाने पर रोक लगा दी है। हालांकि उन्होंने कहा है कि ऐसा वाइन की सुरक्षा के लिए किया गया है।
इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि यूगांडा की घटनाएं परेशानी पैदा करने वाली हैं। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने कहा कि चुनाव पूर्व हिंसा और चुनाव में गड़बड़ियों की खबरों से संयुक्त राष्ट्र चिंतित है। प्रवक्ता ने कहा कि इन खबरों की स्वतंत्र, विश्वसनीय, निष्पक्ष और संपूर्ण जांच कराई जानी चाहिए, ताकि दोषो लोगों की जवाबदेही तय हो सके। प्रवक्ता ने कहा- राजनीतिक उम्मीदवारों पर जारी हमलों की संयुक्त राष्ट्र निंदा करता है और यूगांडा सरकार से आग्रह करता है कि वह मानव अधिकारों और बुनियादी स्वतंत्रताओं का सम्मान करे।