विजय माल्या ने ब्रिटेन की अदालत से लगाई गुहार, कही जीवन यापन को लेकर ये बात

शराब कारोबारी विजय माल्‍या ने शुक्रवार ब्रिटेन के उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल करके अपने जीवन यापन |

Update: 2020-12-12 02:56 GMT

शराब कारोबारी विजय माल्‍या (Vijay Mallya) ने शुक्रवार ब्रिटेन के उच्च न्यायालय (UK High Court) में एक याचिका दाखिल करके अपने जीवन यापन के खर्च और मुकदमा लड़ने के लिए कानूनी फीस चुकाने को लेकर लाखों पाउंड की उस रकम को जारी करने करने की मांग की है जिसे भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में भारतीय बैंकों के एक संघ की ओर से शुरू की गई दिवालिया कार्यवाही के हिस्से के तौर पर कोर्ट फंड्स कार्यालय के पास रखा गया है।

गौरतलब है कि ब्रिटिश अदालत के वित्त कार्यालय ने भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले भारतीय बैंकों के कंर्सोटियम द्वारा शुरू की गई दिवालिया प्रक्रिया के बाद इस धन को जब्त कर लिया था। साल 2019 की शुरुआत में डिप्टी इनसॉल्वेंसी एंड कंपनीज कोर्ट जज रॉबर्ट सॉफर ने अदालत द्वारा जब्त 15 लाख पौंड (करीब 15 करोड़ रुपये) को जारी किए जाने की अनुमति नहीं दी थी।
फ्रांस स्थित संपत्ति ली ग्रांड जार्डिन को बेचने के बाद अदालत ने यह धन जब्त किया था। माल्या के वकील फिलिप मार्शल ने दलील दी थी कि उनके मुवक्किल को जरूरी खर्चे और मुकदमे की फीस भरने के लिए शीघ्र रकम की जरूरत है। अगर जब्त धन में से इन्हें निकालने की अनुमति नहीं दी गई तो इन्हें गंभीर नुकसान हो सकता है। यह एक तरीके से न्याय से दूर रखने जैसा होगा। इस मामले में अब तक कई बार अदालत की सुनवाई हो चुकी है।
उल्‍लेखनीय है कि भारत सरकार धोखाधड़ी और मनी लांडरिंग मामले में माल्या के प्रत्यर्पण की कोशिशें कर रही है। ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट में माल्या की हार के बाद से भारत लगातार ब्रिटेन पर उसके प्रत्यर्पण का दबाव बना रहा है। माल्‍या देश छोड़कर फरार हो चुका है। वह मार्च 2016 से ही ब्रिटेन में हैं। बीते दिनों भारत के विदेश सचिव हर्षव‌र्द्धन श्रृंगला जब लंदन यात्रा पर गए थे तो उन्‍होंने माल्या और नीरव मोदी के प्रत्‍यर्पण की मांग ब्रिटेन सरकार से की थी। बीते मई महीने में माल्या ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट में मनी लांड्रिंग के मामले में प्रत्यर्पण के खिलाफ अपनी अपील हार गया था।

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