काबुल ड्रोन हमले का वीडियो जारी: US की एक 'भूल' के चलते मारे गए 10 निर्दोष अफगान नागरिक
काबुल एयरपोर्ट पर हमला हो सकता था. इसके बाद 26 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट पर धमाका हुआ.
अमेरिकी रक्षा विभाग (US Department of Defence) के मुख्यालय पेंटागन (Pentagon) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) की राजधानी काबुल (Kabul) में हुए एक ड्रोन हमले के वीडियो फुटेज को गोपनीय सूची से हटाते हुए इसे सार्वजनिक रूप से जारी किया है. अमेरिकी सैनिकों (US Troops) की देश से वापसी के आखिरी समय में हुए इस अमेरिकी ड्रोन हमले (US Drone Attack) में 10 आम नागरिक मारे गए थे. इस हमले के बाद अमेरिका (America) की चौतरफा आलोचना हुई थी. तालिबान (Taliban) की वापसी के बाद से ही लोगों के बीच अफरा-तफरी का माहौल था.
'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने यूएस सेंट्रल कमान के खिलाफ सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम वाद के जरिए ये फुटेज प्राप्त करने के बाद इसे अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किया. 29 अगस्त के ड्रोन हमले के ये वीडियो फुटेज पहली बार सार्वजनिक रूप से जारी किए गए हैं, जिसका शुरू में पेंटागन ने बचाव किया था लेकिन बाद में इसे एक भारी भूल बताया था. वीडियो में लगभग 25 मिनट की फुटेज हैं, जिसमें शामिल दो ड्रोन को 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने एमक्यू-9 रीपर ड्रोन (MQ-9 Reaper drones) बताया है. फुटेज में हमले से पहले, हमले के दौरान और बाद में एक गली में एक कार पर हुए हमले के दृश्य नजर आ रहे हैं.
अमेरिका ने मानी थी अपनी गलती
सेना ने कहा था कि उसे लगा कि उसने अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट (Islamic State) समूह के सहयोगी संगठन के एक आतंकवादी को मार गिराया, जो काबुल एयरपोर्ट (Kabul Airport) के पास उस जगह पर बम विस्फोट कर सकता था जहां से लोगों का निकलना जारी था. इसके तीन दिन पहले एयरपोर्ट पर एक आत्मघाती बम विस्फोट में 13 अमेरिकी सैनिकों और 160 से अधिक अफगान नागरिकों की मौत हो गई थी. सेना ने जब बाद में 29 अगस्त के ड्रोन हमले में अपनी भूल स्वीकार की, तो सेंट्रल कमान ने स्पष्ट किया कि कार चलाने वाले का आईएस समूह से कोई लेना-देना नहीं था.
तालिबान की वापसी के बाद देश छोड़कर भाग रहे थे लोग
हमले में मारा गया व्यक्ति जमारी अहमदी (Zemari Ahmadi) था, जो अमेरिका स्थित सहायता संगठन, न्यूट्रिशन एंड एजुकेशन इंटरनेशनल के लिए काम करता था. गौरतलब है कि तालिबान की वापसी के बाद से अफगानिस्तान से लोग भागने लगे. इसके लिए लोगों ने जमीनी रास्तों को जरिया बनाया. हालांकि, तालिबान ने इन बॉर्डर क्रॉसिंग पर कब्जा जमाया हुआ था, जिसके बाद लोगों ने काबुल एयरपोर्ट के जरिए बाहर निकलने का प्रयास शुरू किया. इस दौरान सुरक्षा एजेंसियों ने चेतावनी जारी कर दी थी काबुल एयरपोर्ट पर हमला हो सकता था. इसके बाद 26 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट पर धमाका हुआ.