वैक्सीन: नाक से दिए जाने वाला टीका मौजूदा टीकों की तुलना में हो सकता है ज्यादा असरदार
कोरोना से बचाव के लिए नाक से दी जानी वाली नेजल वैक्सीन मौजूदा टीकों की तुलना में ज्यादा कारगर और असरदार हो सकती है। दुनियाभर में छह नेजल वैक्सीन का पहले चरण में परीक्षण चल रहा है।
कोरोना से बचाव के लिए नाक से दी जानी वाली नेजल वैक्सीन मौजूदा टीकों की तुलना में ज्यादा कारगर और असरदार हो सकती है। दुनियाभर में छह नेजल वैक्सीन का पहले चरण में परीक्षण चल रहा है।
हाल ही में अमेरिकन सोसाइटी ऑफ वायरोलॉजी के साथ बैठक में मीसा वैक्सीन ने दावा किया कि टीका लगने के बाद वायरस अटैक करता है तो दवा उसे वहीं निष्क्रिय कर देगी।
जहां से वायरस प्रवेश करे वहीं लगाएं टीका
हार्वर्ड के इम्युनोलॉजिस्ट जोस ऑर्दोवास मॉनटेन्स बताते हैं कि वायरस के खिलाफ लड़ाई को मजबूत बनाना है तो टीका वहीं लगाना होगा जहां से वायरस शरीर में प्रवेश कर रहा है। जोस बताते हैं कि जो टीका हमें हाथ में लग रहा है वो उसमें मौजूद तत्त्वों को एंटीबॉडीज और टी-कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं के आसपास पहुंचाती हैं।
नेजल वैक्सीन से अधिक उम्मीद क्यों : प्रो. जोस के अनुसार टीका सीधे नाक से दिया जाए तो नाक, श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्से के साथ फेफड़ों में मजबूत इम्युनिटी बनेगी। इसके साथ ही एंटीबॉडीज और टी-कोशिकाएं भी अपना काम करेंगी। इससे फायदा ये होगा कि वायरस जब नाक से प्रवेश करेगा तभी नाक में मौजूद प्रतिरोधक तंत्र उसे निष्क्रिय कर देगा। उम्मीद है कि नेजल वैक्सीन के बाद ब्रेकथ्रू के मामले भी खत्म होंगे।
बच्चों के लिए मजबूत कवच
लोवा यूनिवर्सिटी के पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजिस्ट प्रो. पॉल मैक्रे का कहना है कि हाथ में लगने वाले टीके की बजाए नाक से टीका दिया जाए तो बच्चे और अधिक आसानी से कोरोना को मात दे सकते हैं। यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक 80 लोगों पर टीके का परीक्षण करने वाले हैं।
शरीर में इम्युनिटी कहां है?
वैज्ञानिकों के अनुसार इम्युनिटी रक्त में रहती है जो पूरे शरीर में घूमकर किसी बाहरी तत्त्व को निष्क्रिय करती है। हालांकि कई ताजा अध्ययनों से पता चला है कि इम्युनिटी शरीर में मौजूद उत्तकों में वास करती है।