चीनी हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण से अमेरिकी चिंतित, कहा- हथियारों की होड़ शुरू होने का खतरा बढ़ा
इसके साथ ही हथियारों की होड़ शुरू हो गई और सोवियत संघ के विघटित होने के बाद इसकी रफ्तार कम होने में 30 साल लग गए।
चीन के अत्याधुनिक हथियारों के परीक्षण पर पहली बार अमेरिकी जनरल ने प्रतिक्रिया दी है। ज्वाइंट चीफ्स आफ स्टाफ जनरल मार्क मिले ने कहा कि अमेरिकी रक्षा प्रणाली को मात देने के उद्देश्य से डिजाइन की गई चीन की हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण 'स्पुतनिक मोमेंट' के काफी करीब है। यह परीक्षण फिर से शीत युद्ध की तरह हथियारों की होड़ शुरू होने का भय पैदा करता है, क्योंकि चीन अपनी सेना के आधुनिकीकरण पर काफी खर्च कर रहा है और हो सकता है कि वह परमाणु शस्त्रागार का भी विस्तार कर रहा हो।
परीक्षणों पर हैरानी जताई
जनरल मार्क ने साफ किया कि चीनी द्वारा हाइपरसोनिक मिसाइल के परीक्षण से वह व अन्य अधिकारी चकित हैं। उन्होंने कहा कि ये परीक्षण प्रौद्योगिकी के लिहाज से अहम थे और इन पर हमारी नजर है। आश्चर्य इस बात की है कि चीन ने किस तरह दो अलग-अलग प्रौद्योगिकी हासिल कर ली।
मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली को दे सकती है चकमा
जनरल मार्क ने कहा कि चीन ने एक ऐसी मिसाइल विकसित की है जो धरती की एक आंशिक कक्षा को पूरा कर सकती है और एक हाइपरसोनिक मिसाइल जो अचानक रास्ता बदलती हुई अपनी पैंतरेबाजी से अमेरिका की मौजूदा सभी मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा दे सकती है।
कहीं से भी छोड़ने की क्षमता
माना तो यह भी जा रहा है कि चीन एक दिन निचली कक्षा में परमाणु हथियारों से लैस हाइपरसोनिक मिसाइल को स्थापित करने और उसे कहीं से भी छोड़ने की क्षमता हासिल कर लेगा।
क्या है 'स्पुतनिक मोमेंट'
जनरल मार्क ने 'स्पुतनिक मोमेंट' से उस पीढ़ी को जोड़ना चाहा है, जिसे लंबे समय तक चला शीत युद्ध याद है। स्पुतनिक सोवियत संघ का एक उपग्रह था, जिसे वर्ष 1957 में छोड़ा गया था। इससे अमेरिका में भय पैदा हो गया था कि अंतरिक्ष की दौड़ में सोवियत संघ आगे निकल जाएगा। लेकिन, इसके साथ ही हथियारों की होड़ शुरू हो गई और सोवियत संघ के विघटित होने के बाद इसकी रफ्तार कम होने में 30 साल लग गए।