जनता से रिश्ता वबेडेस्क: अटलांटा शहर में एशियाई महिलाओं पर हुए घातक हमले के बाद अमेरिका में इस सवाल पर बहस खड़ी हो गई है कि आखिर देश में एशियाई समुदाय के खिलाफ नफरत की भावनाएं क्यों फैल रही हैं। हालांकि अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि जॉर्जिया राज्य के इस शहर में हुए इस हमले के पीछे नस्लीय नफरत की भावना ही थी, लेकिन अमेरिका में पिछले कुछ समय से ये आम अनुभव है कि एशियाई समुदाय एक खास वर्ग के निशाने पर है। जानकारों ने इसकी एक वजह चीन के खिलाफ हाल के वर्षों में बनाए गए माहौल को बताया है। लेकिन इस तरफ भी ध्यान खींचा गया है कि एशियाई अमेरिकन लोगों खासकर महिलाओं को लेकर अमेरिकी समाज में एतिहासिक रूप से कई तरह के पूर्वाग्रह फैले रहे हैं।
अटलांटा की घटना में कुल आठ महिलाएं शिकार हुईं। उनमें छह एशियाई थीं। बताया जाता है कि एशियाई महिलाएं ज्यादातर स्पा या इसी तरह की सर्विस सेक्टर में काम करती हैं। इसलिए उन्हें लेकर कई तरह की अवांछित बातें समाज में फैली रही हैं। गैर-सरकारी संस्था नेशनल एशियन पैसिफिक अमेरिकन वूमन्स फोरम की निदशक सुंग यियोन चोईमोरो ने टीवी चैनल सीएनएन से कहा कि एशियाई महिलाएं अपनी नस्ल और लिंग दोनों के कारण भेदभाव का शिकार होती हैं। उनके हिंसा का शिकार होने की आशंका लगातार बनी रहती है।
समाजशास्त्रियों के मुताबिक एशियाई महिलाओं को लेकर फैली पूर्वाग्रहों की जड़ें अमेरिका के इतिहास में हैं। अमेरिकी समाज में ये धारणा रही है कि ये महिलाएं दब्बू, सेक्स में अति सक्रिय और उत्तेजक होती हैं। नस्लीय मामलों की विशेषज्ञ और स्वयंसेवी संस्था एशियान अमेरिकन फेमिनिस्ट कॉलेक्टिव की सह-प्रमुख रचेल कुओ के मुताबिक अमेरिकी इतिहास में मौजूद रहे कानूनी और राजनीतिक उपायों के कारण ऐसी धारणाएं फैली रही हैं।
इस तरह के एक कानून के रूप में उन्होंने पेज ऐक्ट 1875 का जिक्र किया। इस कानून के कुछ साल पहले चीन बहिष्करण अधिनियम (चाइनीज एक्सक्लूशन एक्ट) बना था। पेज एक्ट का घोषित का मकसद वेश्यावृत्ति और जबरिया मजदूरी का निवारण बताया गया था। लेकिन कुओ के मुताबिक इन दोनों कानूनों का मकसद चीनी महिलाओं को अमेरिका आने और यहां बसने से रोकना था।
कुओ के मुताबिक अमेरिकी साम्राज्यवाद ने भी ऐसी धारणाएं बनाने में अहम भूमिका निभाई। इस बात के प्रमाण हैं कि फिलीपींस-अमेरिकी युद्ध, दूसरे विश्व युद्ध और वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिकी सैनिकों ने उन देशों की महिलाओं से बलात्कार किए और यौन शोषण के उद्देश्य से मानव तस्करी को बढ़ावा दिया। विश्लेषकों के मुताबिक वे सब कहानियां अमेरिकी समाज में चर्चित रही हैं और उनकी वजह से एशियाई महिलाओं के 'सस्ते में उपलब्ध रहने' की धारणा गहरी हुई है। कुओ के मुताबिक इनकी वजह से अमेरिका में एशियाई महिलाओँ से होने वाली हिंसा को कभी गंभीर समस्या के रूप में नहीं लिया गया।
ऐसी धारणाओं का बुरा आर्थिक असर भी एशियाई महिलाओं पर पड़ा है। उन्हें एक श्रमिक के रूप में सस्ता मानने और जब चाहे हटा दिए जाने का चलन यहां मौजूद रहा है। कोरोना वायरस महामारी के कारण अमेरिका में करोड़ों लोग बेरोजगार हुए हैं। उनमें बड़ी संख्या में एशियाई महिलाएं भी हैं। कोरोना वायरस को लेकर चीन के खिलाफ बनाए गए माहौल से बहुत से अमेरिकी इस महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार मानते हैं। इससे उनमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लोगों और खासकर महिलाओं के प्रति आक्रामकता बढ़ी है।
इस क्षेत्र की ज्यादातर महिलाएं स्पा, सैलून, रेस्तरां, मसाज पार्लर आदि जैसी जगहों पर काम करती हैं। उनके काम को इज्जत की नजर से नहीं देखा जाता। अटलांटा की घटना में भी ऐसी ही महिलाएं शिकार हुई हैं। अटलांटा स्थित संस्था एशियन अमेरिकन एडवांसिंग जस्टिस की विधि निदेशक फी न्यूगेयन के मुताबिक मारी गई महिलाएं कम वेतन और अस्थायी नौकरी वाल क्षेत्र की कर्मी थीं। वे महामारी के कारण और गहराए स्त्री-द्रोह, ढांचागत हिंसा और श्वेत वर्चस्ववाद की शिकार बनीं।