भारत और रूस के बढ़ते व्यपारिक रिश्तों के बीच अमेरिका ने किया जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत को आमंत्रित

जबकि यूक्रेन युद्ध के बीच यूरोप लगातार रूस से गैस का आयात कर रहा है।

Update: 2022-06-24 06:41 GMT

भारत और रूस के बढ़ते व्यापारिक रिश्तों के बीच अमेरिका ने जी-7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के समन्वयक जान किर्बी ने शुक्रवार (स्थानीय समय) को कहा कि भारत को 48वां जी-7 शिखर सम्मेलन (G7 Summit) में आमंत्रित किया गया है।जान किर्बी ने बताया कि जी-7 का एजेंडा काफी गहरा और विविध (deep and diverse) है। जान किर्बी ने कहा कि इस आमंत्रण का लक्ष्य किसी भी देश को रूस से दूर करना नहीं है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन का लक्ष्य सामान्य सिद्धांत वाले देशों को एकजुट करना है।

उन्होंने कहा कि, जी-7 देश जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा के मामलों में प्रगति देखना चाहते हैं। शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता में भारत, इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे विकासशील देशों को जी-7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित करने के पीछे कारण के बारे में जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है। उन्होंने कहा कि हम भारतीय नेताओं को उनकी आर्थिक नीतियों पर बोलने का मौका देंगे।
रूस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बने: किर्बी
मंगलवार को एक प्रेस वार्ता में किर्बी ने कहा कि अमेरिका भारत के साथ इस द्विपक्षीय संबंध को महत्व देता है लेकिन अमेरिका चाहता है कि यूक्रेन विवाद के बीच रूस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बने। किर्बी ने आगे कहा, 'मैं आपको बस इतना बता सकता हूं कि हम भारत के साथ इस द्विपक्षीय संबंध को महत्व देते हैं और हम चाहते हैं कि स्पष्ट रूप से हर देश को अपने लिए निर्णय लेना होगा। ये संप्रभु निर्णय हैं लेकिन हम चाहते हैं कि रूस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जितना संभव हो उतना दबाव डाला जाए।' बता दें कि भारत ने हाल ही में रूस पर वैश्विक प्रतिबंधों के बावजूद रूस से ऊर्जा आयात में वृद्धि की है।
बता दें कि जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोलज के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 से लेकर 27 जून को जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए जर्मनी के श्लास एलमौ का दौरी करेंगे। शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी के दो सत्रों में बोलने की उम्मीद है, जिसमें पर्यावरण , ऊर्जा, जलवायु, खाद्द सुरक्षा, स्वास्थ्य, लैंगिक समानता और लोकतंत्र शामिल है।
विकासशील देशों को प्रभावित कर रहा है युद्ध: एस जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस महीने की शुरुआत में यूक्रेन युद्ध के बीच रूस से भारतीय तेल खरीद की अनुचित आलोचना पर पलटवार किया था। रूस से भारत के तेल आयात का बचाव करते हुए जयशंकर ने जोर देकर कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि यूक्रेन संघर्ष विकासशील देशों को कैसे प्रभावित कर रहा है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि केवल भारत से ही सवाल क्यों किया जा रहा है जबकि यूक्रेन युद्ध के बीच यूरोप लगातार रूस से गैस का आयात कर रहा है।

Tags:    

Similar News

-->