US FDA ने 5 साल से कम उम्र के बच्चों को कोरोना वायरस के टीके लगाने की सिफारिश की
अमेरिका ने 76 प्रतिशत वयस्कों को पूरी तरह से टीका लगाया है, जिनमें से 90 प्रतिशत दोनों डोज लगवा चुके हैं.
दुनिया अब भी कोरोना से जंग लड़ रही है. इससे लड़ने का सबसे कारगर उपाय टीकाकरण ही है. बड़ों और किशोरों को दुनिया के अधिकतर देशों में टीका लगने लगा है, लेकिन अधिकांश देशों में छोटे बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीनेशन शुरू नहीं हो पाया है. इस बीच अमेरिका से एक राहत की खबर निकलकर सामने आई है. यहां यूएस एफडीए के एक मेडिकल पैनल ने बुधवार को 5 साल से कम उम्र के बच्चों को कोरोना वायरस के टीके लगाने की सिफारिश की है.
मॉडर्ना और फाइजर ने मांगी थी अनुमति
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) द्वारा एक विशेषज्ञ टीम बनाई गई थी. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि फाइजर ने 6 महीने से 4 साल तक के बच्चों को कोरोना वैक्सीन की तीन माइक्रोग्राम की तीन डोज देने के लिए एफडीए से अनुमति मांगी थी, जबकि मॉडर्ना ने 6 महीने से 5 साल तक के बच्चों के लिए उच्च 25 माइक्रोग्राम की दो डोज के लिए एफडीए से अनुमति मांगी थी.
टेस्ट में FDA ने दोनों टीकों को पाया प्रभावी
बताया जा रहा है कि एफडीए जल्द ही इन दोनों की ऐप्लिकेशन को मंजूरी दे सकता है. इसके अलावा इन बच्चों के लिए टीके का पहला शॉट अगले हफ्ते से शुरू होने की भी संभावना जताई जा रही है. एफडीए ने कहा है कि टीम ने जांच के बाद पाया कि दोनों टीके सुरक्षित और प्रभावी थे. रिपोर्ट के अनुसार, मॉडर्ना ने कथित तौर पर 6,000 बच्चों पर अपने टीके का परीक्षण किया था, जबकि फाइजर ने करीब 4,000 बच्चों पर वैक्सीन का परीक्षण किया था.
5-11 साल के 29% बच्चों को ही लग पाया है टीका
बता दें कि व्हाइट हाउस ने भी कुछ दिन पहले कहा था कि सरकार मॉडर्ना और फाइजर के साथ मिलकर 5 साल से कम उम्र के बच्चों के टीकाकरण की शुरुआत 21 जून से करने के बारे में लक्षित है. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने भी बच्चों के लिए शॉट्स के इस्तेमाल की सलाह दी है. अमेरिकी सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में 5-11 आयु वर्ग के बच्चों के लिए टीकाकरण की अनुमति दी थी. हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक, इस आयु वर्ग के केवल 29 प्रतिशत बच्चों को ही टीका लगाया जा सका है. अमेरिका में टीकाकरण की बात करें तो अमेरिका ने 76 प्रतिशत वयस्कों को पूरी तरह से टीका लगाया है, जिनमें से 90 प्रतिशत दोनों डोज लगवा चुके हैं.