पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिकों को पीछे हटाने की खबर पर अमेरिका की नजर
सैनिकों तथा घातक अस्त्र-शस्त्रों की तैनाती कर दी थी.
पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिकों को पीछे हटाने की खबर पर अमेरिका नजर बनाए हुए है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान जारी करते हुए इस बात की जानकारी दी है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस (Ned Price) ने मीडिया से कहा, ''हम चीन और भारत के सैनिकों (India and China Troops) के पीछे हटने की खबरों पर करीब से नजर बनाए हुए हैं. हम तनाव कम करने के मौजूदा प्रयासों का स्वागत करते हैं.''
नेड प्राइस ने लद्दाख के पैंगोग इलाके से भारत और चीन के सैनिकों के पीछे हटने की खबरों पर किए सवाल के जवाब में कहा, ''हम यकीनन, स्थिति पर करीबी नजर बनाए रखेंगे, क्योंकि दोनों पक्ष शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में काम कर रहे हैं." गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच पिछले साल पांच मई में पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक संघर्ष के बाद सैन्य गतिरोध शुरू हुआ था. इस घटना के बाद दोनों पक्षों ने भारी संख्या में सैनिकों तथा घातक अस्त्र-शस्त्रों की तैनाती कर दी थी.
पैंगोंग झील क्षेत्र से सैन्य वापसी
भारत और चीन ने 10वें दौर की सैन्य वार्ता के बाद रविवार को लद्दाख के पैंगोंग झील क्षेत्र से सेना की वापस की खबर सामने आई. इसके बाद एक संयुक्त बयान में कहा गया कि पूर्वी लद्दाख में सैन्य वापसी पश्चिमी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अन्य मुद्दों के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
भारत की मांग
चीन और भारत के बीच तनातनी के बीच भारत की मजबूत मांग रही है कि दोनों देशों के सैनिकों को अप्रैल 2020 वाली स्थिति में वापस लौट जाना चाहिए. फिलहाल दोनों स्तर पर सैनिकों को पीछे हटाने पर जोर दिया जा रहा है. इसके बारे में बातचीत के दौरान मुख्य तौर पर चर्चा भी की गई.
चीन का दावा
हाल ही में चीन ने झड़प में अपने चार सैनिकों के मरने का दावा किया था. वहीं इस हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, लेकिन चीन ने दावा किया था कि झड़प के दौरान 45 चीनी सैनिक मारे गए थे. इसके बाद भारत के उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने चीनी पक्ष पर गलत आंकड़े पेश करने का भी आरोप ल