अमेरिका ने सुरक्षा परिषद और एनएसजी में भारत की सदस्यता के लिए जताया समर्थन

राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के शामिल होने का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।

Update: 2022-04-13 00:46 GMT

राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के शामिल होने का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। अमेरिका ने 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में एक सदस्य के तौर पर भारत के अहम योगदान की सराहना भी की।

भारत-अमेरिका के बीच हुई 'टू-प्लस-टू' मंत्रिस्तरीय बैठक के समापन पर यहां जारी एक साझा बयान में, अमेरिका ने 2021-2022 के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य के रूप में अहम योगदान के लिए भारत को बधाई दी।

बयान के मुताबिक, इस संदर्भ में, अमेरिका ने सुरक्षा परिषद की तीन समितियों के प्रमुख के तौर पर भारत के नेतृत्व की तारीफ की। इन समितियों में 1988 तालिबान प्रतिबंध समिति, 1970 लीबिया प्रतिबंध समिति और 1373 आतंकवाद रोधी समिति शामिल हैं। भारत के विदेश मंत्री जयशंकर, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन तथा रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने यह वार्ता की।

पांच परमाणु हथियारों से लैस देशों में से एक चीन ने एनएसजी की सदस्यता हासिल करने की कोशिश का इस आधार पर विरोध किया है कि नई दिल्ली ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उसके विरोध ने समूह में भारत के प्रवेश को मुश्किल बना दिया है, क्योंकि एनएसजी आम सहमति के सिद्धांत पर काम करता है। भारत नेदो दिसंबर को कहा था कि वह एनएसजी सदस्यता के लिए समूह के सदस्यों से बात करेगा।

शांति अभियानों की अगुवाई करने में भारत के विशिष्ट इतिहास को स्वीकार करते हुए, अमेरिका ने 2022 में बहुपक्षीय शांति स्थापना प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का, तीसरे देश के भागीदारी के साथ संयुक्त क्षमता निर्माण प्रयासों का विस्तार करने का और अमेरिका के साथ साझेदारी में एक नया संयुक्त राष्ट्रीय जांच अधिकारी प्रशिक्षण प्रशिक्षक पाठ्यक्रम शुरू करने का स्वागत किया।

चारों मंत्रियों ने तालिबान से यूएनएससी के प्रस्ताव 2593 (2021) का पालन करने का आह्वान किया। इसके अनुसार, अफगानिस्तान क्षेत्र का इस्तेमाल फिर कभी किसी देश को धमकाने या हमला करने या आतंकियों को प्रशिक्षित करने या आतंकी हमलों की योजना बनाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने तालिबान से महिलाओं, बच्चों व अल्पसंख्यक समूहों समेत मानवाधिकारों का सम्मान करने की भी अपील की।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि अमेरिका ने रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने को लेकर भारत पर काट्सा कानून के तहत प्रतिबंधों लगाने या छूट देने का अभी कोई फैसला नहीं किया है। उन्होंने कहा, हम सभी देशों से यह अनुरोध करते रहेंगे कि वे खासकर यूक्रेन में रूस की कार्रवाई के मद्देनजर रूसी हथियार प्रणालियों संबंधी बड़ा एवं नया लेनदेन करने से बचें।

बता दें कि अमेरिका में रूस से हथियार खरीदी को लेकर भारत पर काट्सा (सीएटीएसएए) के तहत प्रतिबंध लगाने की मांग काफी तेज हुई है। अमेरिकी प्रशासन इस कानून के तहत ईरान, उत्तर कोरिया या रूस के साथ महत्वपूर्ण लेन-देन करने वाले किसी भी देश के खिलाफ प्रतिबंध लगा सकता है। ब्लिंकेन यहां 'टू-प्लस-टू' मंत्रिस्तरीय वार्ता के बाद अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन और भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तथा विदेश मंत्री जयशंकर के साथ एक साझा प्रेसवार्ता में बोल रहे थे। उन्होंने रूस से भारत द्वारा एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदे जाने संबंधी सवाल के जवाब में यह कहा।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि भारत के रूस के साथ दशकों पुराने संबंध हैं और ऐसे वक्त से हैं जब अमेरिका दक्षिण एशियाई देश का साझेदार नहीं था। उन्होंने कहा, आज हम भारत के साथ वाणिज्य, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में साझेदारी के काबिल और इच्छुक हैं। आज हमारे बीच इसी को लेकर बातचीत हुई है। जब बात तेल खरीद, प्रतिबंध आदि की आती है तो मैं बस यही कहूंगा कि तेल खरीद के लिए यह जटिल प्रक्रिया है। हालांकि उन्होंने रूस से तेल खरीद आगे बढ़ाने से रोकने की उम्मीद जताई।


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