अफगानिस्तान पर UNSC की आपात बैठक, भारत पर निकाली भड़ास, जानिए महासचिव गुटेरेस क्या बोले?

लड़कियों के खिलाफ बढ़ते मानवाधिकारों के उल्लंघन से चिंतित हूं जो तालिबान राज के काले दिनों की वापसी से डरते हैं।

Update: 2021-08-17 02:20 GMT

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) ने सोमवार को अफगानिस्तान में तालिबान के कब्‍जे से पैदा हुए हालात पर एक आपात बैठक की। बीते एक हफ्ते में सुरक्षा परिषद की यह दूसरी बैठक थी। बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि मैं सभी पक्षों खासकर तालिबान से गुजारिश करता हूं कि वे लोगों के जीवन की रक्षा करने के लिए संयम बरतें और मानवीय जरूरतों को पूरा करना सुनिश्चित करें।

गुटेरस ने याद दिलाए दाय‍ित्‍व
अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने यह भी कहा कि अफगानिस्‍तान में जारी संघर्ष ने हजारों लोगों को घर छोड़ने को मजबूर कर दिया है। काबुल ने देश भर के प्रांतों से आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की भारी आमद देखी है। मैं सभी पक्षों को नागरिकों की रक्षा के लिए उनके दायित्वों की याद दिलाता हूं। मैं सभी पक्षों का आह्वान करता हूं कि वे लोगों को जीवन रक्षक सेवाओं और सहायता के लिए निर्बाध पहुंच प्रदान करें।
अफगान लोगों को शरण दें
एंटोनियो गुटेरस ने अचानक पैदा हुए इस मानवीय संकट पर कहा- मैं सभी देशों से शरणार्थियों को स्वीकार करने की अपील करता हूं। अफगानिस्तान में वैश्विक आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए पूरी दुनिया को एकजुट होना होगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होना होगा कि अफगानिस्तान को दोबारा कभी आतंकवादी संगठनों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं बनने दिया जाएगा। मैं सभी पक्षों को अफगानिस्तान के नागरिकों की रक्षा के लिए उनके दायित्वों की याद दिलाता हूं।
मानवाधिकारों की रक्षा हो
बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एक स्वर में बोलना चाहिए। मैं तालिबान और सभी पक्षों से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और सभी व्यक्तियों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करने का आह्वान करता हूं। उन्‍होंने यह भी कहा कि हमें पूरे अफगानिस्‍तान से मानवाधिकारों पर प्रतिबंधों की चौंकाने वाली रिपोर्टें मिल रही हैं। मैं विशेष रूप से अफगानिस्तान की महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बढ़ते मानवाधिकारों के उल्लंघन से चिंतित हूं जो तालिबान राज के काले दिनों की वापसी से डरते हैं।


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