न्यू यॉर्क (आईएएनएस)| अमेरिका और चीन के गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में अत्यधिक तापमान की संभावना काफी बढ़ गई है, जो फसल की पैदावार को प्रभावित कर सकती है। एक अध्ययन में ये जानकारी सामने आई है। जर्नल एनपीजे क्लाइमेट एंड एटमॉस्फेरिक साइंस में प्रकाशित जानकारी के मुताबिक हर सौ साल में एक बार होने वाली हीट वेभ अब मिडवेस्टर्न यूएस में हर छह साल में एक बार और पूर्वोत्तर चीन में हर 16 साल में एक बार होने की संभावना है।
अमेरिका और चीन को ग्लोबल ब्रेडबास्केट माना जाता है - ऐसे क्षेत्र जो दुनिया में अनाज की जरूरतों का उत्पादन करते हैं। यदि ये फसलें एक साथ या अन्य मुख्य फसलों की तरह एक ही समय में विफल हो जाएंगी, तो इसका दुनिया भर में भोजन की कीमत और उपलब्धता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
अध्ययन उस स्थिति के बारे में है जिसके लिए लोगों को तैयारी करने की जरूरत है, भले ही ऐसी स्थिति अभी पैदा नहीं हुई है। टफ्ट्स विश्वविद्यालय में फ्राइडमैन स्कूल ऑफ न्यूट्रिशन साइंस एंड पॉलिसी के एसोसिएट प्रोफेसर एरिन कफलान डी पेरेज ने कहा, ऐतिहासिक रिकॉर्ड अब यह नहीं बताता है कि भविष्य के लिए हम क्या उम्मीद करें।
कफलान डी पेरेज ने कहा, हम एक बदली हुई जलवायु में रह रहे हैं और लोग क्लाइमेंट चेंज से पैदा होने वाले हालातों को नजरअंदाज कर रहे हैं। इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज की सबसे हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दशक में औसत वैश्विक तापमान 1850 और 1900 के बीच की तुलना में 1.1 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
अध्ययन के लिए, कफलन डी पेरेज और उनकी टीम ने पिछले 40 वर्षों से मौसमी पूवार्नुमानों का एक बड़ा समूह एकत्र किया। उन्होंने तापमान और वर्षा में हजारों संभावित विविधताओं को उत्पन्न करने के लिए इस समूह का उपयोग किया। शीतकालीन गेहूं की फसलें पतझड़ के मौसम में बढ़ती हैं और अगली गर्मियों में काटी जाती हैं। वसंत में उच्च तापमान, जब गेहूं का पौधा फूल रहा होता है, गेहूं के विकास को प्रभावित कर सकता है।
27.8 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर पौधे गर्मी से प्रभावित होने लगते हैं। 32.8 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान होने पर गेहूं में महत्वपूर्ण एंजाइम टूटने लगते हैं। कफलन डी पेरेज ने कहा कि रिकॉर्डतोड़ गर्मी और रिकॉर्डतोड़ सूखा एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इन दो खतरों का संयोजन गेहूं की फसल को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।