UN वॉचडॉग ने इमरान को लगाई फटकार, कही ये बड़ी बात
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) और संयुक्त राष्ट्र समर्थित संस्था यूएन वॉच के बीच अभिव्यक्ति की आजादी के मुद्दे
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) और संयुक्त राष्ट्र समर्थित संस्था यूएन वॉच के बीच अभिव्यक्ति की आजादी के मुद्दे पर जुबानी जंग देखी जा रही है. इमरान खान ने फ्रांस पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया था कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर ईशनिंदा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. इसके बाद ही यूएन वॉच ने उनके इस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा कि आपकी संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन (UNHRC) में मौजूदगी बर्दाश्त के बाहर है. पाकिस्तान के ऊपर लगातार मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप लगते रहे हैं. इसके बावजूद इस साल चीन और रूस के साथ पाकिस्तान को भी संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन का सदस्य बनाया गया है. उस समय भी यूएन वॉच ने एक बयान जारी कर पाकिस्तान के सदस्य बनने पर कड़ी आपत्ति जताई थी.
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने के लिए हमेशा ईशनिंदा कानून का उपयोग किया जाता है. तानाशाह जिया-उल-हक के शासनकाल में पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को लागू किया गया. पाकिस्तान पीनल कोड में सेक्शन 295-बी और 295-सी जोड़कर ईशनिंदा कानून बनाया गया. दरअसल पाकिस्तान को ईशनिंदा कानून ब्रिटिश शासन से विरासत में मिला है. 1860 में ब्रिटिश शासन ने धर्म से जुड़े अपराधों के लिए कानून बनाया था जिसका विस्तारित रूप आज का पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून है. मानवाधिकार संस्था मूवमेंट फॉर सॉलिडैरिटी एंड पीस (MSP) के अनुसार, पाकिस्तान में हर साल 1000 से ज्यादा ईसाई और हिंदू महिलाओं या लड़कियों का अपहरण किया जाता है. जिसके बाद उनका धर्म परिवर्तन करवा कर इस्लामिक रीति रिवाज से निकाह करवा दिया जाता है. पीड़ितों में ज्यादातर की उम्र 12 साल से 25 साल के बीच में होती है.
Your presence on the U.N. Human Rights Council is intolerable. https://t.co/rVhyS3qHVS
— UN Watch (@UNWatch) November 6, 2020
संयुक्त राष्ट्र समर्थित NGO
यूएन वॉच संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक एनजीओ है, जिसे अमेरिकन jewish कमेटी (अमेरिकी यहूदी समिति) संचालित करती है. यह संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक परिषद को विशेष परामर्शदात्री स्थिति में एक मान्यता प्राप्त गैर सरकारी संगठन है. यूएन वॉच डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और डारफुर में मानवाधिकारों के हनन से निपटने के लिए सक्रिय रही है. इसके अलावा चीन, क्यूबा, रूस और वेनेजुएला जैसे शासन में मानवाधिकार हनन के खिलाफ भी मुखर रही है.