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नई दिल्ली: दुनियाभर में खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है. यह बात संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में सामने आई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, 52 देशों के करीब 19 करोड़ लोगों को साल 2021 में खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा. साल 2020 की तुलना में यह संख्या चार करोड़ अधिक है.
दरअसल, यह रिपोर्ट खाद्य संकटों के विरुद्ध वैश्विक नैटवर्क (Global Network Against Food Crises) ने तैयार की है. GNAFC संयुक्त राष्ट्र, योरोपीय संघ, सरकारी व गैर-सरकारी एजेंसियों का अन्तरराष्ट्रीय गठबंधन है.
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के कार्यकारी निदेशक डेविड बिजली ने बताया कि हाल ही के समय में भूख की मार झेल रहे लोगों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा, दुनियाभर में हालत बद से बदतर होते जा रहे हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे लोगों को आजीविका सहायता पहुंचाने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है.
इतना ही नहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आपात हालात उत्पन्न होने के बाद जवाबी कार्रवाई के बजाय, इन संकटों की बुनियादी वजहों से तत्काल निपटा जाना अहम है. इतना ही नहीं विश्लेषकों का कहना है कि आजीविकाएं ध्वस्त होने से बचाने और भुखमरी और मौतों को टालने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है.
इस रिपोर्ट में उन देशों को शामिल किया गया है, जहां खाद्य संकट की गंभीरता स्थानीय संसाधनों और क्षमताओं से कहीं अधिक है. इस रिपोर्ट में इथियोपिया, दक्षिणी मैडागास्कर, दक्षिण सूडान और यमन में रह रहे 5.7 लाख लोगों को गंभीर श्रेणी में रखा गया है. ये लोग विनाशकारी हालात का सामना करने के लिए मजबूर हैं.
हिंसक संघर्ष और टकराव, पर्यावरणीय- जलवायु संकट, आर्थिक-स्वास्थ्य संकट, और पहले से बनी गरीबी और विषमताओं को इन संकटों का बुनियादी कारण बताया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, मौसम की घटनाओं के कारण आठ देशों के दो करोड़ 30 लाख से अधिक लोगों के लिए हालात कठिन हुए हैं. जबकि आर्थिक संकट की वजह से 21 देशों के तीन करोड़ लोगों पर असर पड़ा है. इसके अलावा कोरोना के चलते 17 देशों को चार करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसक संघर्ष और टकराव के चलते 24 देशों में 13 करोड़ 90 लाख लोग खाद्य सुरक्षा का शिकार हुए हैं.