UN: अफगानिस्‍तान की आधी से भी अधिक आबादी के सामने भोजन का खड़ा है संकट

अफगानिस्‍तान पर आईपीसी विश्लेषण के तहत ध्‍यान दिया जाता रहा है।

Update: 2021-10-26 10:03 GMT

संयुक्‍त राष्‍ट्र का कहना है कि अफगानिस्‍तान की आधी से भी अधिक आबादी के सामने भोजन का संकट खड़ा हो रहा है। इन लोगों के पास पर्याप्त भोजन उपलब्ध नहीं है। इस वजह से उनके जीवन पर गंभीर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। संयुक्‍त राष्‍ट्र की तरफ से दिए गए विश्‍लेषण में बताया गया है कि अफगानिस्‍तान में सूखे, हिंसा, युद्ध, राजनीतिक अस्थिरता और कोरोना महामारी की वजह से देश की हालत बेहद खराब हो गई है। अफगानिस्‍तान को लेकर संयुक्‍त राष्‍ट्र ने एक रिपोर्ट भी जारी की है, जिसका शीर्षक Integrated Food Security Phase Classification'है। ये रिपोर्ट वहां पर मौजूद भुखमरी के रिकार्ड स्तर को दर्शाती है। इस रिपोर्ट को खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने संयुक्‍त रूप से तैयार किया है।

इसमें कहा गया है कि वर्तमान हालातों में अफगानिस्‍तान में करीब दो करोड़ से अधिक लोगों के जीवन पर संकट और अधिक गहरा सकता है। इन लोगों को निकट भविष्‍य में कमाई के साधन और खाद्य सुलभता में जबरदस्‍त कमी आ सकती है। यूएन की खाद्य एवं कृषि एजेंसी के प्रमुख क्यू डोंग्यू ने इस रिपोर्ट पर कहा है कि अफगानिस्‍तान के मौजूदा संकट को देखते हुए वहां पर दक्षता व कारगरता के अलावा वहां पर दी जाने वाली मानवीय आधार पर मदद को भी तेज करने की जरूरत है। उन्‍होंने ये भी कहा है कि आने वाले दिनों में मौसम बदलने की वजह से इनमें और अधिक रुकावट आ जाएगी। इसलिए इस काम को तेजी से करना होगा। सर्दियों के मौसम में अफगानिस्‍तान का एक बड़ा इलाका संपर्क से कट सकता है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्दी के मौसम में खाने पीने की किल्‍लत से लोगों की जान पर बन सकती है। आईपीसी रिपोर्ट बताती है कि नव इस वर्ष नवंबर से मार्च 2022 तक करीब 50 फीसद से अधिक अफगान नागरिकों को तीसरी और चतुर्थ श्रेणी के इमरजेंसी हालात का सामना तक करना पड़ सकता है। इसलिए यहां के नागरिकों को राहत पहुंचाने का काम तेज गति से किए जाने की जरूरत है। हालातों को टालने के लिए विश्‍व को जवाबी कार्रवाई भी करनी चाहिए। संगठन की तरफ से यहां तक कहा गया है कि अफगानिस्‍तान में राहत अभियान के लिए संसाधनों को बढ़ाने की और एकजुट होकर प्रयास करने की जरूरत है। गौरतलब है कि यूएन द्वारा लगातार दस वर्षों से अफगानिस्‍तान पर आईपीसी विश्लेषण के तहत ध्‍यान दिया जाता रहा है।


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