अल कायदा के आतंकियों ने यूएन के कर्मचारियों को किया अगवा, सभी को अज्ञात स्थान पर ले जाया गया

लोगों के पास ना खाने को पैसे हैं और ना ही रोजगार है. उन्हें दूसरे देशों में शरण लेनी पड़ रही है.

Update: 2022-02-13 06:50 GMT

अलकायदा के संदिग्ध आतंकवादियों (Al Qaeda Terrorists) ने दक्षिणी यमन (Yemen) में संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के पांच कर्मचारियों का अपहरण कर लिया है. यमन के अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी है. अधिकारियों ने कहा कि शुक्रवार देर रात दक्षिणी प्रांत अबयान में कर्मचारियों का अपहरण कर लिया गया और उन्हें एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया. उन्होंने बताया कि इनमें चार यमन के और एक विदेशी नागरिक शामिल है. इनकी सुरक्षित रिहाई के लिए कोशिशें तेज हो गई हैं.

अपहरण के बारे में एक सवाल के जवाब में संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, 'हम मामले से अवगत हैं लेकिन कुछ कारणों से इस पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं.' उन्होंने इस संबंध में विस्तार से नहीं बताया. वहीं देश के कबाइली नेताओं ने कहा कि वे अपहर्ताओं के साथ कर्मचारियों की रिहाई के लिए बातचीत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अपहर्ताओं ने फिरौती और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार द्वारा कैद किए गए कुछ आतंकवादियों की रिहाई की मांग की है.
हथियारबंद लोगों ने अपहरण किया
यमन सरकार ने पुष्टि की कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा और रक्षा विभाग के कर्मियों का अज्ञात हथियारबंद लोगों ने अपहरण कर लिया. यमन में हूती विद्रोहियों का आतंक है, जिनके कारण वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार सत्ता में नहीं है. हूतियों ने देश के कई इलाकों पर कब्जा किया हुआ है. जिसके कारण यहां दूसरे कई आतंकी संगठन भी अपने पैर पसार चुके हैं. ये लोगों के अपहरण कर रहे हैं और लगातार आतंक फैला रहे हैं.
2015 से हूतियों से लड़ रहा सऊदी अरब
यमन में सऊदी अरब के नेतृत्व वाला सैन्य गठबंधन साल 2015 से ही ईरान समर्थिक हूति विद्रोहियों के साथ जंग लड़ रहा है. इस गठबंधन ने यमन में चल रहे युद्ध में 2015 में हस्तक्षेप किय था. तब हूतियों ने राजधानी सना पर कब्जा कर सरकार को सत्ता से हटा दिया था. इस जंग में हजारों लोगों की मौत हुई है और लाखों की संख्या में लोगों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा है. यमन में इसकी वजह स एक बड़ी मानवीय आपदा खड़ी हो गई है. लोगों के पास ना खाने को पैसे हैं और ना ही रोजगार है. उन्हें दूसरे देशों में शरण लेनी पड़ रही है.

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