नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन में चल रहे युद्ध के बीच भारत लगातार रूस से तेल खरीद रहा है. भारत के इस कदम से अमेरिका समेत कई देश खुश नहीं हैं. इस बीच यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने रूस और भारत की ऑयल डील को लेकर तीखी टिप्पणी की है. यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने कहा कि रूस से जो भी तेल का बैरल भारत पहुंचाया जा रहा है, उसमें यूक्रेन के लोगों का खून मिला हुआ है. विदेश मंत्री ने आगे भारत को याद दिलाने के लहजे से कहा कि उन्होंने युद्ध के दौरान यूक्रेन से भारतीय छात्रों को वापस भेजने में मदद की थी.
यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो ने आगे कहा कि हम हमेशा कृषि उत्पादों विशेष रूप से सरसों के तेल में बहुत प्रतिबद्ध सप्लायर और व्यापारी थे. उन्होंने आगे कहा कि हमें भारत की ओर से यूक्रेन को मजबूत समर्थन की उम्मीद थी.
अमेरिका लगातार भारत पर रूस से तेल न खरीदने का दबाव बना रहा है. हालांकि, रूस से छूट पर तेल खरीदने को लेकर भारत का रुख स्पष्ट है कि जिस देश से अच्छी डील मिलेगी, वह अपने नागरिकों के हित को देखते हुए उसी से सौदा करेगा.
हाल ही में थाईलैंड पहुंचे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर एक बार फिर साफ किया कि रूस और भारत के बीच तेल की खरीदारी जारी रहेगी. विदेश मंत्री ने कहा कि भारत के रूस से तेल खरीदने के फैसले की अमेरिका या कोई और देश बेशक सराहना न करें लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है क्योंकि भारत अपने रुख को लेकर बचाव की मुद्रा में नहीं है.
विदेश मंत्री ने साफ करते हुए कहा कि जिस डील से भारतीय लोगों को फायदा पहुंचेगा, भारत उसी डील को करेगा. विदेश मंत्री ने कहा कि हर देश अपने नागरिकों के हितों को देखता है. विदेश मंत्री ने कहा था कि भारत एक ऐसा देश है, जहां प्रति व्यक्ति की इनकम 2 हजार डॉलर से भी कम है और देश के लोग तेल या गैस की ज्यादा महंगाई का बोझ नहीं उठा सकते हैं. ऐसे में उनका भी ये कर्तव्य है कि भारत के लोगों के हितों को देखते हुए ऐसे देशों से डील की जाए जहां से सबसे अच्छा ऑफर मिले.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, जून महीने में रूस सऊदी अरब को पछाड़ते हुए भारत को तेल बेचने वाला दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर बन गया. हालांकि, इराक अभी तक भारत को तेल बेचने वाला सबसे बड़ा सप्लायर बना हुआ है. भारत सबसे ज्यादा तेल इराक से ही निर्यात करता है.
दरअसल, यूक्रेन से युद्ध के बाद रूस पर कई देशों की ओर से आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए गए, जिस वजह से रूस कम दाम में भारत और चीन को तेल बेच रहा है. इससे भारत और चीन को तो फायदा पहुंच ही रहा है, साथ ही रूस की भी अर्थव्यवस्था को सहारा मिल रहा है. अमेरिका इस बात पर लगातार विरोध जता रहा है लेकिन भारत इस मामले में अपना पक्ष साफ कर चुका है.
रूस और भारत की ऑयल डील से सबसे ज्यादा परेशानी अमेरिका को हो रही है. इसी वजह से कुछ समय पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि भारत के लिए रूस से तेल की खरीद को बढ़ाना हित में नहीं है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि वे ऊर्जा आयात में अधिक विविधता लाने में भारत की सहायता को भी तैयार हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति की चेतावनी के बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कड़े शब्दों में जवाब भी दिया था. भारत के विदेश मंत्री ने कहा था कि भारत जितना एक महीने में रूस से तेल खरीदता है, उतना यूरोप एक दिन में रूस से तेल का आयात करता है. विदेश मंत्री ने आगे कहा था कि अगर अमेरिका की नजर रूस से तेल खरीदने वालों पर है तो उसका फोकस यूरोप के देशों पर होना चाहिए.