UAE स्पेसक्राफ्ट 'होप' ने भेजी मंगल ग्रह की पहली तस्वीर, 30 करोड़ मील की दूरी तय कर रच दिया इतिहास

Update: 2021-02-16 01:07 GMT
UAE स्पेसक्राफ्ट होप ने भेजी मंगल ग्रह की पहली तस्वीर, 30 करोड़ मील की दूरी तय कर रच दिया इतिहास

फाइल फोटो 

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अबूधाबी, आइएएनएस। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के स्पेसक्राफ्ट 'होप' ने मंगल की कक्षा में पहुंचकर इतिहास रच दिया है। साथ ही लाल ग्रह की कई तस्वीरें धरती पर भेजी हैं। यूएई की नेशनल स्पेस एजेंसी ने एक बयान में कहा, 'होप ने मंगल ग्रह की विहंगम तस्वीरें खींची हैं, जिनमें मंगल की सतह सूर्य की रोशनी से चमकती दिख रही है। तस्वीरों में इसका उत्तरी ध्रुव और सबसे बड़ा ज्वालामुखी ओलंपस मून्स नजर आ रहा है।' लाल ग्रह की इस तस्वीर को क्राउन प्रिंस शेख मुहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने भी ट्विटर पर साझा किया है।

यूएई लाल ग्रह पर पहुंचने वाला पांचवां देश बनाा
उल्लेखनीय है कि यूएई के पहले इंटरप्लेनेटरी अंतरिक्ष यान होप ने बीते मंगलवार को मंगल की कक्षा में प्रवेश किया था। सीएनएन के अनुसार, मंगल पर यूएई का पहला मिशन बीते मंगलवार को देर रात लाल ग्रह के करीब पहुंचा था और पहले प्रयास में ही सफलतापूर्वक कक्षा में प्रवेश कर गया था। 'होप प्रोब' नामक यूएई के मार्स मिशन ने एक सिग्नल भेज कर इसकी पुष्टि की थी। इसी के साथ यूएई लाल ग्रह पर पहुंचने वाला पांचवां देश बन गया है। हालांकि अरब देशों में ऐसा करने वाला यूएई पहला देश है।
लाल ग्रह का वैदर मैप होगा तैयार
'होप' दरअसल एक अर्बिटर है, जिसे अरबी में अमल कहा जाता है। लगभग सात महीने की यात्रा में 30 करोड़ मील की दूरी तय करने के बाद यह अपने लक्ष्य तक पहुंचा है। विज्ञानियों का कहना है कि अब 'होप' लाल ग्रह का पहला ग्लोबल वेदर मैप तैयार करने में मदद करेगा। एक्सप्रेसडॉटकोडॉटयूके के अनुसार, उम्मीद है कि अल अमल मिशन मंगल के वायुमंडल की पूरी तस्वीर के बारे में विस्तार से बता पाएगा और भविष्य के मिशनों की राह आसान बनाएगा।
मौसम चक्र की भी देगा जानकारी
बता दें कि होप अंतरिक्ष यान बीते वर्ष 19 जुलाई को लांच किया गया था। यह यान अब लाल ग्रह के मौसम चक्र और उसके निचले वातावरण में मौसम की घटनाओं जैसे धूल भरी आंधी आदि का अध्ययन करने के साथ-साथ यह भी पता लगाएगा कि इस ग्रह का मौसम विभिन्न क्षेत्रों में कैसे बदलता है। इसके अलावा, यह अंतरिक्ष यान मंगल ग्रह के वायुमंडल में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन खत्म होने और कठोर जलवायु परिवर्तनों के पीछे अन्य संभावित कारणों का पता लगाने में मदद करेगा। इस मिशन की जानकारी सार्वजनिक करने के लिए एक वेबसाइट भी बनाई गई है, जहां से इसकी ताजा जानकारी ली जा सकती है। लांचिंग से लेकर अब तक इस मिशन ने कैसे-कैसे पड़ाव पार किए हैं। सभी के बारे में विस्तार से इसमें बताया गया है।
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