बायपोलर बीमारी के दो मरीजों का हुआ इलाज, जानिए ये कैसे काम करता है
दुनिया में पहली बार आस्ट्रेलिया में बायपोलर बीमारी के शिकार दो लोगों का मल (Stool) प्रत्यारोपण हुआ, जिससे उनके लक्षणों में सुधार हुआ और उनके मामले सहकर्मी-समीक्षा पत्रिकाओं में लिखे गए हैं.
दुनिया में पहली बार आस्ट्रेलिया (Australia) में बायपोलर बीमारी (Bipolar Disorder) के शिकार दो लोगों का मल (Stool) प्रत्यारोपण हुआ, जिससे उनके लक्षणों में सुधार हुआ और उनके मामले सहकर्मी-समीक्षा पत्रिकाओं में लिखे गए हैं. सुनने में ये जरूर अजीब लगेगा, लेकिन मेडिकल साइंस में ऐसा हुआ है. इस प्रत्यारोपण में शामिल डीकिन यूनिवर्सिटी की जेसिका ग्रीन और सिडनी के यूएनएसडब्ल्यू के गॉर्डन पार्कर ने कहा, 'हम में से एक (पार्कर) ने इन रोगियों में से एक का तथाकथित मल माइक्रोबायोटा प्रत्यारोपण के साथ इलाज किया और हाल के हफ्तों में उसकी केस स्टडी को प्रकाशित किया. दूसरी सहयोगी (ग्रीन) एक टीम का हिस्सा है, जो अवसाद से ग्रस्त लोगों को मल प्रत्यारोपण से इलाज करने के परीक्षण में शामिल करती है.'
अब तक मिले आशाजनक रिजल्ट
बायपोलर या अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए इस प्रकार के उपचार को इसके शुरुआती दिनों में स्वीकार करने वाले हम पहले व्यक्ति होंगे. मल प्रत्यारोपण को प्रचलन में आता देख सकें, इसके लिए कई बाधाएं हैं. इसलिए हम इस बात की वकालत नहीं करते हैं कि लोग अपनी मौजूदा दवा को छोड़ दें, घर पर इसे आजमाएं या अपने मनोचिकित्सक से मांग करें कि उन्हें 'क्रैप्सूल' (मल कैप्सूल के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द)दें. हालांकि बायपोलर बीमारी के इलाज के लिए अब तक के सीमित परिणाम आशाजनक हैं. यहां बताए गए सबूत हमें मानसिक स्वास्थ्य के लिए मल प्रत्यारोपण की संभावना के बारे में बताते हैं.
क्या है बायपोलर?
बाइपोलर डिसऑर्डर के विभिन्न प्रकार होते हैं. यह तब होता है जब लोगों में उन्माद (या हाइपोमेनिया के रूप में जाना जाने वाला एक रूप) की अलग-अलग अवधि होती है - उदाहरण के लिए, बेचैन मन:स्थिति, बढ़ी हुई गतिविधि और नींद में कमी - और रह रहकर अवसाद होना.
बायपोलर बीमारी के शिकार लोग आमतौर पर अपने लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए दवा लेते हैं, आमतौर पर जीवन भर के लिए. ये दवाएं मुख्य रूप से मूड स्टेबलाइजर्स (जैसे लिथियम) हैं, लेकिन कई एंटीसाइकोटिक्स भी लेते हैं. ये दवाएं जोखिम और साइड इफेक्ट के साथ आती हैं, जो दवा पर निर्भर करती हैं. साइड इफेक्ट्स में वजन बढ़ना, उनींदापन और गति संबंधी विकार शामिल हो सकते हैं.
ऐसे किया पहले मरीज का इलाज
2020 में, एक निजी मनोचिकित्सक रसेल हिंटन ने बताया कि उन्होंने पहले रोगी का इलाज कैसे किया. यह एक ऐसी महिला थी जिसने अपनी बायपोलर बीमारी के इलाज के लिए एक दर्जन से अधिक विभिन्न दवाएं आजमाई. उसे दस बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उसका वजन काफी बढ़ गया था और उसे लगता था कि उसकी जिंदगी में कुछ नहीं बचा है. अपने पति से एक मल प्रत्यारोपण के बाद, वह अगले पांच वर्षों में लक्षण मुक्त हो गई, 33 किलोग्राम वजन कम किया, किसी दवा की आवश्यकता नहीं थी और उसका करियर चमक गया.
दूसरे मरीज का ऐसे हुआ इलाज
न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के गॉर्डन पार्कर और उनके सहयोगियों ने पिछले महीने दूसरे रोगी के साथ अपने परिणामों की सूचना दी. यह एक युवक था, जिसे किशोरावस्था में ही बायपोलर बीमारी हो गई थी. उसने कई दवाइयां आजमाईं, लेकिन एक समय ऐसा आया कि वह इनके साइड इफेक्ट्स को झेलने में असमर्थ हो गया. मल प्रत्यारोपण के बाद, अगले वर्ष से वह धीरे धीरे अपनी सभी दवाओं को बंद करने में सक्षम था, और उसमें मूड स्विंग्स जैसी कोई बात नहीं थी. उसने अपनी उद्विग्नता और एडीएचडी (अटेंशन डेफिसिट, हायपरसेंसिटीविटी डिसआर्डर) में भी सुधार देखा.
ये कैसे काम करता है?
हमारी आंत में खरबों बैक्टीरिया रहते हैं. इस तथाकथित गट माइक्रोबायोम का हमारे मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर ही नहीं, सामान्य रूप से हमारे पूरे स्वास्थ्य पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है. आंत के बैक्टीरिया में अंतर को मोटापा, मधुमेह और आंतों की अन्य बीमारियों से जोड़ा गया है. मल प्रत्यारोपण के पीछे का विचार आंत माइक्रोबायोम को बदलना है. आप एक स्वस्थ व्यक्ति से, उसके सभी सूक्ष्म जीवों के साथ, मल लेते हैं और दूसरे को देते हैं. आप इसे मुंह से ले सकते हैं, उदाहरण के लिए, मल कैप्सूल (क्रैप्स्यूल्स) को निगलकर, या नाक में डाली गई ट्यूब के माध्यम से पेट या आंत में मल पहुंचाकर.