दुनिया में अलग तरह के लोग और रीति रिवाज के साथ एक अपनी ही पहचान का ट्रेडिशन
दुनिया में तरह तरह के लोग और तरह तरह की रीति रिवाज के साथ साथ एक अपनी ही पहचान का ट्रेडिशन है। इस ट्रेडिशन के कारण ही दुनिया बेहद ही रोचक बन जाती है, जिससे जानने और पहचाने की जिज्ञासा पैदा होती है। हर कोई जाति, जनजाति और आदिवासी अपनी एक पहचान रखते हैं। इसी तरह से पूर्वोत्तर भारत की बात करें तो यहां भी कई आदिवासी हैं जिनमें से अपतानी जनजाति भी शामिल हैं।
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अपतानी (Apatani) भारत में अरुणाचल प्रदेश के निचले सुबनसिरी जिले में जीरो घाटी में रहने वाले लोगों का एक आदिवासी समूह है। यह जनजाति अपतानी, अंग्रेजी और हिंदी भाषाएं भी बोलती है। कह सकते हैं यह एक शिक्षित जनजाति है।
अपतानी जनजाति की खूबसूरत महिलाएं
अपतानी जनजाति की महिलाएं ख़ुद को बदसूरत दिखाने के लिए नाक में काले रंग की लकड़ी की ठेपियां लगा लेती थीं, इसलिए आज भी जो पुरानी महिलाएं हैं उन्हें आप इन्हीं काले रंग की लकड़ी की ठेपियों में देखेंगे। इसी के साथ इस बदसूरती में उनका फेशियल टैटू भी परंपरा का एक हिस्सा है
बदसूरती के पीछ है परंपरा
महिलाओं के ऐसा करने के पीछे दो वजहें थीं। इसमें से पहली वजह, घुसपैठियों को महिलाओं से बचाना था ताकि घुसपैठिए गांव में आए तो यहां की महिलाओं की ख़ूबसूरती देखकर उन्हें उठा न ले जाएं और दूसरी वजह, जब लड़कियों को पहली बार मासिकधर्म होते थे तो उनकी नाक में ये लकड़ी की ठेपी फ़िट कर दी जाती थी, जिससे पता चल जाता था कि लड़की बड़ी हो गई है।
नाक में ठेपी लगाने के अलावा, माथे से ठोढ़ी तक लंबी काली लाइन भी बना दी जाती थी। कहते हैं कि, पहले अपतानी जनजाति पर बहुत हमले होते थे और हमलावर यहां की महिलाओं को उठा ले जाते थे। इसलिए यहां की महिलाओं ने बदसूरत रहना शुरू कर दिया।