मंगल की इन आठ जगहों पर घूम सकेंगे पर्यटक, देखें शानदार तस्वीरें
मंगल पर घूम सकेंगे पर्यटक
मंगल ग्रह पर जीवन की बहुत अधिक संभावना है. ऐसे में ये भविष्य के पर्यटकों के लिए एक मजेदार जगह होने वाला है. जब इंसान पहली इंसानी कॉलोनी को लाल ग्रह पर बसा लेगा, तो यहां घूमने के लिए पर्यटकों की संख्या भी बढ़ सकती है. मंगल ग्रह सूर्य से चौथा ग्रह है और ये लाल ग्रह विशाल ज्वालामुखियों, गहरी घाटियों और गड्ढो से भरा हुआ है.
वैलेस मेरिनरिस (Valles Marineris) मंगल पर मौजूद सबसे बड़ी घाटी है, जो लगभग 3000 किमी लंबी है. ये ग्रैंड कैन्यन से लगभग चार गुना लंबी है. ये घाटियों की एक प्रणाली है, जो 10 किमी की गहराई तक पहुंचती है. वैलेस मेरिनरिस का नाम मेरिनर 9 के नाम पर रखा गया, जिसने 1971 में इसे खोजा था.
मंगल ग्रह के दो ध्रुवों पर भी लोग घूमने जा सकेंगे. 2008 में फीनिक्स लैंडर द्वारा की गई एक स्टडी के मुताबिक, इन दोनों बर्फीले क्षेत्रों की रचनाएं थोड़ी अलग अलग हैं. सर्दियों के दौरान यहां तापमान बेहद ही कम हो जाता है.
NASA के मुताबिक, थार्सिस मोंटेस (Tharsis Montes) मंगल ग्रह पर सबसे बड़ा ज्वालामुखी क्षेत्र है. ये लगभग 4000 किमी तक फैला हुआ है और इसकी ऊंचाई 10 किमी है. यहां पर 12 बड़े ज्वालामुखी मौजूद हैं. थारिस क्षेत्र में चार सबसे बड़े ज्वालामुखी मौजूद हैं, जिनके नाम एस्क्रेयस मॉन्स, पैवोनिस मॉन्स, अर्सिया मॉन्स और ओलंपस मॉन्स हैं.
हेल क्रेटर (Hale Crater) आवर्ती ढलान वाली रेखा है, जो गर्म मौसम के दौरान खड़े गड्ढों के किनारों पर बनती है. 2015 में NASA ने घोषणा की कि हाइड्रेटेड साल्ट्स सतह पर बहते पानी के संकेत होने चाहिए, लेकिन बाद में शोध में कहा गया कि RSL वायुमंडलीय पानी या रेत के सूखे प्रवाह से बन सकता है.
ओलंपस मॉन्स (Olympus Mons) लगभग 17 मील (27 किलोमीटर) ऊंचा है, जो माउंट एवरेस्ट से लगभग तीन गुना ऊंचाई वाला पहाड़ है. ये थारिस ज्वालामुखी क्षेत्र में स्थित है. ओलंपस मॉन्स लावा के विस्फोट से तैयार हुआ, जो बाद में जमने से पहले तक लंबी दूरी तक बहा करता था. ऐसे में लोग इस पहाड़ पर चढ़ाई कर सकेंगे.
मंगल पर एक और जगह है जिसकी चर्चा सबसे अधिक होती है और इसका नाम है मेडुसे फॉसे (Medusae Fossae). कुछ स्टडी के मुताबिक, ये एक अजीब जगह है, क्योंकि यहां जिस तरह की आकृतियां बनी हुई हैं, उसे लेकर माना जाता है कि यहां एलियंस की मौजूदगी रही है. हालांकि, बाद में एक स्टडी में बताया गया है कि ये प्राकृतिक रूप से तैयार हुई हैं.
2012 में Curiosity rover के एक अध्ययन के अनुसार, गेल क्रेटर (Gale Crater) में पहले पानी मौजूद रहा होगा. लैंडिंग के कुछ हफ्तों के भीतर ही Curiosity rover ने एक जलधारा की खोज की. इसके बाद अपनी यात्रा के दौरान इसने पानी के कई सबूत ढूंढे. Curiosity अब माउंट शार्प नामक एक नजदीकी ज्वालामुखी की जांच कर रहा है.
नोक्टिस लेबिरिंथस और हेलस बेसिन में पाए जाने वाले 'घोस्ट ड्यून्स' वैज्ञानिकों को अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं. शोधकर्ताओं के अनुसार, ये क्षेत्र दसियों मीटर ऊंचे टीलों वाली जगह था. बाद में ये लावा या पानी से भर गए, जिससे उनके ठिकानों को संरक्षित किया गया, जबकि इनका ऊपरी हिस्सा गायब हो गया.