तालिबान के शीर्ष नेता नई सरकार बनाने के लिए काबुल में माथापच्ची करने में जुटा, क्रूरता में सबसे आगे है यह गुट

पूर्वी अफगानिस्तान और सीमा पार पाकिस्तान में भी अपना रसूख रखने वाला यह गुट सबसे खतरनाक माना जाता है।

Update: 2021-08-22 01:58 GMT

अफगानिस्तान पर दिन पर दिन पकड़ मजबूत करने वाले तालिबान के शीर्ष नेता नई सरकार बनाने के लिए काबुल में माथापच्ची करने में जुट गए हैं। इस कवायद में हक्कानी नेटवर्क के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। समझा जाता है देश के सबसे खूंखार आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क की सरकार में अहम भूमिका होगी। हाल के वर्षो में अफगानिस्तान में हुए सबसे घातक हमलों में हक्कानी नेटवर्क का ही हाथ रहा है। नागरिकों, सरकारी अफसरों और विदेशी फौजियों की जान लेने में इस आतंकी संगठन ने कभी झिझक नहीं दिखाई।

कौन है हक्कानी गुट
इस समूह का गठन जलालुद्दीन हक्कानी ने किया था। उसने पिछली सदी में सोवियत संघ के कब्जे वाले दिनों में जिहादी नायक के रूप में ख्याति हासिल की थी। उस समय, वह अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए का एसेट (खास गुर्गा) माना जाता था। पाकिस्तान से उसे भरपूर पैसा और असलहे मिलते थे। उस संघर्ष के दौरान और सोवियत फौजों की वापसी के बाद जलालुद्दीन हक्कानी ने ओसामा बिन लादेन सहित कई विदेशी जिहादियों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए।
बाद में उसने तालिबान के साथ गठबंधन कर 1996 में अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया और 2001 में जब तक कि अमेरिकी नेतृत्व वाली सेनाओं ने बमबारी शुरू नहीं की तब तक इस्लामी शासन के मंत्री के रूप में बहुत क्रूरता से शासन किया।
2018 में तालिबान ने बीमारी के कारण जलालुद्दीन हक्कानी के मरने की घोषणा की थी। अब उसका बेटा सिराजुद्दीन नेटवर्क का मुखिया है। वैसे उसे 2015 में ही संगठन का डिप्टी कमांडर बना दिया गया था। अपनी ताकत और लड़ाकू क्षमता के कारण यह गुट तालिबान के साथ रहते हुए भी अपनी अलग पहचान बनाए रखने में कामयाब रहा। पूर्वी अफगानिस्तान और सीमा पार पाकिस्तान में भी अपना रसूख रखने वाला यह गुट सबसे खतरनाक माना जाता है।


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