इस्लामाबाद: पाकिस्तान के कप्तान इमरान खान का आज इम्तिहान है. पीएम इमरान को अपनी सरकार बचाने के लिए रमजान के पहले ही दिन पाकिस्तान की संसद नेशनल असेंबली में अपनी शक्ति दिखानी होगी. इमरान को कम से कम 172 सांसदों का समर्थन हासिल करना होगा ताकि वे प्रधानमंत्री पद पर कायम रह सकें.
इमरान ने नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव से पहले एक बार फिर से धार्मिक कार्ड चला है. इमरान ने कर्बला की लड़ाई का हवाला देते हुए खुद को ईमान की लड़ाई लड़ने वाला शख्स बताया है और कहा है कि आज हम सत्य और देशभक्ति के लिए झूठ और राजद्रोहियों से लड़ रहे हैं.
शनिवार को जब पाकिस्तान में रमजान का चांद नजर आया तो पीएम इमरान खान एक ट्वीट कर अपने मुल्क के लोगों को कर्बला की जंग की याद दिलाई और कहा कि अब लड़ाई हक़ (सच्चाई) और बातिल (झूठ) के बीच है. इमरान ने ट्वीट कर कहा, "कर्बला में इमाम हुसैन को एक ऐसे दुश्मन का सामना करना पड़ रहा था जो संख्या में उनसे बहुत अधिक था. इमाम हुसैन, उनके परिवार और अनुयायियों ने लोगों को हक (सही / सच) और बातिल (झूठ) के बीच अंतर दिखाने के लिए अपना जीवन लगा दिया. आज हम झूठ और देशद्रोह के खिलाफ सच्चाई और देशभक्ति के लिए लड़ रहे हैं."
बता दें कि पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के खिलाफ वहां की विपक्षी पार्टियों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया है. ये पार्टियां इमरान के इस्तीफे की मांग कर रही हैं. इस नाजुक मौके पर इमरान के कई सांसदों ने पाला बदल लिया है और विपक्षी खेमे में चले गए हैं. इस वजह से इमरान आंकडों के अंकगणित में कमजोर पड़ गए हैं.
इसके बाद इमरान लगातार पाकिस्तान की जनता से संवाद कर रहे हैं. इमरान कभी इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं तो वे कभी देशभक्ति का हवाला दे रहे हैं. इस परिस्थिति में आज पाकिस्तान की संसद नेशनल असेंबली में इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होनी है.
शनिवार को एक लाइव सवाल-जवाब में बोलते हुए, इमरान खान ने एक शख्स को कहा, "बिल्कुल चिंता न करें, एक कप्तान के पास हमेशा एक योजना होती है, और इस बार मेरे पास एक से अधिक योजनाएं हैं. हम कल जीतेंगे. मैं उन्हें असेंबली में हरा दूंगा. 1992 में पाकिस्तान को क्रिकेट वर्ल्ड कप में जीत दिलाने वाले इमरान खान क्रिकेट पिच से लेकर सियासत के मैदान में भी कप्तान के नाम से जाने जाते हैं.
बता दें कि पाकिस्तान में अगले आम चुनाव में अभी भी डेढ़ साल बाकी है. ये एक लंबा वक्त है. इमरान खान जनता को ये विश्वास दिलाने में लगे हैं कि देश का विपक्ष अमेरिकी दबाव में उन्हें हटाना चाहता है. जबकि इमरान का दावा है कि वे पाकिस्तान की स्वतंत्र विदेश नीति विकसित करना चाहते हैं और इसी का नतीजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है. इमरान ने कहा है कि वे इस्तीफा नहीं देंगे और बतौर पाकिस्तान कप्तान आखिरी गेंद तक डटे रहेंगे.