1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि तुर्की ने इस समझौते में एक प्रमुख भूमिका अदा की है। इससे यह बात सिद्ध हो गई है कि तुर्की रूस यूक्रेन जंग को रोकने में एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि तुर्की की एक खास बात यह है कि वह नाटो का सदस्य होते हुए भी अमेरिका का पिछलग्गु नहीं है। यही कारण रहा है कि उसने अमेरिका के विरोध के बावजूद रूसी एस-400 मिसाइल का समझौता किया। तुर्की नाटो का सदस्य देश होने के बावजूद रूस का नजदीकी रहा है। यह उसके पास प्लस प्वाइंट है। ऐसे में तुर्की एक ऐसा मुल्क है जो रूस और यूक्रेन को एक टेबल पर ला सकता है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन और रूस के बीच मिरर समझौता कराने में उसका प्रमुख रोल रहा है।
2- प्रो पंत ने कहा कि कहीं न कहीं अमेरिका की दिलचस्पी इस जंग को आगे बढ़ाने की है। उन्होंने कहा कि अमेरिका, रूस को यूक्रेन जंग में फंसा कर रखना चाहता है। अमेरिका जानता है कि यह युद्ध जितना लंबा चलेगा उससे रूस कमजोर होगा। इस जंग में यूक्रेन के साथ रूस को भी भारी क्षति हुई है। इस जंग से यूरोपीय देशों में खलबली है, इससे भी अमेरिका खुश होगा। उधर, रूस भी इस जंग को अंजाम तक पहुंचाना चाहता है। रूस की यह रणनीति होगी कि इस जंग के बहाने वह तुर्की के उन इलाकों तक पहुंच जाए, जहां से नाटो देश उसके लिए खतरा बन सकते हैं। यही कारण है कि रूस ने इस युद्ध में पूर्वी यूक्रेन को निशाना बनाया है। पूर्वी यूक्रेन के जरिए ही नाटो रूस की घेराबंदी कर सकता है। ऐसे में यह जंग इतनी आसानी से और जल्द खत्म होने वाली नहीं है।
समझौते में तुर्की का बड़ा रोल
1- गौरतलब है कि रूस यूक्रेन मिरर समझौते में तुर्की की अहम भूमिका रही है। दोनों देशों के बीच समन्वय और निगरानी का काम तुर्की के शहर इस्तांबुल में किया जाएगा। इस समझौते के होने में दो महीने का वक्त लगा है। इसे लेकर यहां संयुक्त राष्ट्र, तुर्की, रूस और यूक्रेन के अधिकारी काम करेंगे। फिलहाल यह समझौता चार महीने के लिए हुआ है। अगर दोनों पक्षों की सहमति बनती है तो इस समझौते को और आगे बढ़ाया जा सकता है। बता दें कि यूक्रेन के अनाज का निर्यात रुकने से दुनिया भर में गेंहू से बने उत्पादों पर बड़ा संकट पैदा हो गया था। बाजार में ये उत्पाद और महंगे हो गए थे।
2- शुरुआत में रूस ने यूक्रेन के साथ सीधा समझौता करने से इनकार कर दिया था। रूस ने यह भी चेतावनी दी थी कि किसी भी तरह के उकसावे का तुरंत सैन्य जवाब दिया जाएगा। इसलिए यह समझौता रूस या यूक्रेन में नहीं बल्कि तुर्की में हुआ है। समझौते के दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधि एक मेज पर भी नहीं बैठे। पहले रूस के रक्षा मंत्री सेर्गेई शाइगु ने और फिर यूक्रेन के इन्फ्रास्ट्रक्चर मंत्री ओलेकसांद्र कुब्राकोव ने इस मिरर समझौते पर हस्ताक्षर किए। मिरर समझौता वह होता है, जिसमें किसी प्रस्ताव को बिना किसी बदलाव के स्वीकार कर लिया जाता है।
3- इस समझौते के तहत यूक्रेन भी कुछ शर्तें मानने को तैयार हो गया है। इसके तहत उसे खाद्यान्न सप्लाई ले जाने वाले जलपोतों की जांच की इजाजत देनी होगी। जांच के दौरान यह देखा जाएगा कि कहीं इनके जरिए हथियारों की सप्लाई तो नहीं की जा रही है। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने इस समझौते को लेकर उम्मीद जताते हुए कहा है कि यह जंग समाप्त करने की दिशा में एक अहम कदम हो सकता है। तुर्की राष्ट्रपति ने कहा कि शांति कायम करने तक वह चुप नहीं बैठेंगे। बता दें कि 24 फरवरी को रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद दुनिया भर में खाद्यान्न संकट के चलते लाखों लोगों पर भूख का खतरा मंडरा रहा था।