तिब्बत: संस्कृति का वास्तविक पुनरुद्धार लोकतांत्रिक सुधार के साथ शुरू हुआ
बीजिंग, (आईएएनएस)| 1959 में चीनी केंद्र सरकार द्वारा तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार शुरू करने से पहले, तिब्बती संस्कृति केवल कुछ ही रईसों और धार्मिक अभिजात वर्ग की थी, और अधिकांश सामान्य किसान और चरवाहे किसी भी सांस्कृतिक उपलब्धि का आनंद नहीं ले सकते थे। लोकतांत्रिक सुधार के बाद भू-दासों को तिब्बत में राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक निर्माण में भाग लेने का अधिकार प्राप्त हुआ।
तभी से तिब्बती संस्कृति का वास्तविक पुनरुत्थान की शुरूआत होने लगी। 28 मार्च, 1959 को, चीनी केंद्र सरकार ने तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार आंदोलन शुरू किया, और पुराने तिब्बत में सामंती दासता को पूरी तरह से समाप्त कर दिया। संस्कृति की नींव शिक्षा है। पुराने तिब्बत में कोई पूर्ण शिक्षा प्रणाली नहीं थी, और निरक्षरता दर 95 प्रतिशत जितनी अधिक थी। लोकतांत्रिक सुधार के बाद तिब्बत के इतिहास में पहला आधुनिक मिडिल स्कूल, ल्हासा मिडिल स्कूल की स्थापना हुई। वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद तिब्बत में सभी प्रकार और स्तरों की आधुनिक शिक्षा प्रणाली स्थापित की गई है। 2021 में, तिब्बत में विभिन्न प्रकार के 3,195 स्कूल हैं, जिनमें 790,000 से अधिक छात्र हैं।
प्राथमिक विद्यालय की शुद्ध नामांकन दर 99.93 प्रतिशत तक पहुँच गई, और जूनियर हाई स्कूल, हाई स्कूल और उच्च शिक्षा की सकल नामांकन दर 106.99 प्रतिशत तक पहुँच गई, क्रमश: 90.2 प्रतिशत और 56.14 प्रतिशत।
लोकतांत्रिक सुधारों के बाद, तिब्बत में विभिन्न सांस्कृतिक उपक्रमों को नई जीवन शक्ति से प्रेरित किया गया है। तिब्बत के सांस्कृतिक उपक्रमों का विकास जारी रहा, लोगों की आध्यात्मिक आवश्यकताओं को पूरा करते हुए पारंपरिक संस्कृति का विकास भी प्राप्त हुआ। तिब्बती स्थानीय सरकार ने भी सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण पर विनियम और पोटाला पैलेस सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और प्रबंधन पर विनियम जैसे कानूनों को प्रख्यापित किया है ताकि तिब्बत में बहुमूल्य सांस्कृतिक अवशेषों की व्यापक रूप से रक्षा की जा सके। 2022 तक, तिब्बत में सभी स्तरों पर विभिन्न प्रकार के 4,468 सांस्कृतिक अवशेष स्थलों और 2,373 सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण इकाइयों का पंजीकरण किया गया है, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर 70, स्वायत्त प्रदेश स्तर पर 603, और शहर और काउंटी स्तरों पर 1,700 शामिल हैं। उनमें संरक्षित 510,000 जंगम सांस्कृतिक अवशेष शामिल हैं। केंद्रीय और स्थानीय सरकारों ने भी तिब्बती भाषा और लिपि के मानकीकृत प्रसार को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया है, जिस के जरिये तिब्बती भाषा का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, जिससे तिब्बती सांस्कृतिक उपक्रमों के विकास को प्रभावी ढंग से बढ़ावा मिला है।
तिब्बती संस्कृति का विकास स्थानीय त्योहारों की विरासत और नवाचार में भी परिलक्षित होता है। तिब्बती लोग हर साल तिब्बती नव वर्ष, शोटन महोत्सव और अन्य पारंपरिक त्योहार मनाते हैं। न्यिंगची पीच ब्लॉसम फेस्टिवल, शन्नान यालॉन्ग कल्चरल फेस्टिवल, नग्कु हॉर्स रेसिंग फेस्टिवल सहित अन्य स्थानीय त्योहारों ने भी तिब्बती लोगों के आध्यात्मिक जीवन को बहुत समृद्ध किया है। इन त्योहारों ने देश भर में बड़ी संख्या में पर्यटकों का ध्यान आकर्षित किया है और तिब्बत के पर्यटन शहरों की लोकप्रियता को बढ़ावा दिया है। तिब्बती ओपेरा, गेसर रैप, थांगका और तिब्बती शतरंज जैसी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को भी बढ़ावा दिया गया है। हर साल, तिब्बती सांस्कृतिक समूह किसानों और चरवाहों की सेवा में अनेक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ग्रामीण व चरवाहे क्षेत्र जाते हैं और तिब्बती लोगों के बीच लोक पारंपरिक कलाओं को बढ़ावा देते हैं।
तिब्बती संस्कृति के विकास को बढ़ावा देने का मूल कारण है कि लोकतांत्रिक सुधार के कारण उन भू-दासों को मुक्त किया गया था, तब से, उन्हें स्वामी के रूप में तिब्बती पारंपरिक संस्कृति का आनन्द करने और संस्कृति का विकास करने का अधिकार सौंप दिया गया।