पाकिस्तानी सेना के तीन अधिकारी बर्खास्त

Update: 2023-06-27 05:09 GMT

इस्लामाबाद। पाकिस्तान सेना ने सोमवार को एक लेफ्टिनेंट समेत अपने तीन अफसरों को बर्खास्त कर दिया है और तीन मेजर जनरल और सात ब्रिगेडियर के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

पाकिस्तानी सेना के अनुसार इन अधिकारियों पर सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा करने में विफल होने का आरोप है। ज्ञात रहे कि गत नौ मई को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद देशभर में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान सैन्य प्रतिष्ठानों को भारी नुकसान हुआ था।

इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए इंसाफ के कार्यकर्ताओं ने लाहौर कोर कमांडर हाउस, मियांवाली एयरबेस और फैसलाबाद में आईएसआई भवन सहित 20 से अधिक सैन्य प्रतिष्ठानों और सरकारी भवनों में तोडफ़ोड़ की थी। रावलपिंडी में सेना मुख्यालय (जीएचक्यू) पर भी भीड़ ने हमला किया था।

सैन्य प्रवक्ता मेजर जनरल अरशद शरीफ ने बताया कि सेना ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के समर्थकों के विरोध प्रदर्शन के संबंध में दो बार जांच कराई और कार्रवाई की। उन्होंने बताया, जवाबदेही प्रक्रिया पर विचार-विमर्श करने और अदालती जांच ध्यान में रखते हुए, उन लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई, जो सैन्य प्रतिष्ठानों, जिन्ना हाउस और सामान्य मुख्यालय की सुरक्षा और सम्मान को बरकरार रखने में नाकाम रहे।

शरीफ ने बताया कि एक लेफ्टिनेंट-जनरल सहित तीन अधिकारियों को हटा दिया गया है और तीन मेजर जनरल और सात ब्रिगेडियर सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्यवाही पूरी कर ली गई है।

अधिकारियों की पहचान का विवरण दिए बिना मेजर जनरल शरीफ ने कहा कि सेना द्वारा की गई कार्रवाई से पता चलता है कि सेना के भीतर सख्त आत्म-जवाबदेही की व्यवस्था है और पद की परवाह किए बिना कार्रवाई की जाती है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना में रैंक या सामाजिक स्थिति की परवाह किए बिना, कोई भेदभाव किए बगैर जवाबदेही तय की जाती है।

उन्होंने बताया कि जांच मेजर जनरल स्तर के अधिकारियों द्वारा की गई। शरीफ ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, (नौ मई की हिंसा में) शामिल सभी लोगों को संविधान और कानून के तहत दंडित किया जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि पहले से ही 17 स्थाई सैन्य अदालतें काम कर रही हैं जहां 9 मई की हिंसा में शामिल 102 उपद्रवियों पर मुकदमा चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सबूत देखने के बाद उनके मामलों को सिविल अदालतों में स्थानांतरित कर दिया गया।

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