प्रोटीन आधारित इस कोरोना वैक्सीन को सबसे पहले इंडोनेशिया में इस्तेमाल की मिली मंजूरी
कंपनी ने शुरुआती तौर पर इसका 100 बच्चों पर परीक्षण भी किया है और इसके सुरक्षा संबंधी डाटा भी दवा नियामक को उपलब्ध करा दिए हैं।
वैक्सीन निर्माता नोवावैक्स इंक (NVAX.O) ने गुरुवार को कहा कि इसने विश्व स्वास्थ्य संगठन ( World Health Organization, WHO) के साथ अपने कोरोना वैक्सीन की आपाताकलीन इस्तेमाल के लिए सूचीबद्ध ( emergency use listing, EUL) कराने की प्रक्रिया को पूरा कर लिया है। कंपनी ने स्वास्थ्य एजेंसी को कोरोना वैक्सीन NVX-CoV2373 के लिए आवश्यक सभी माड्यूल्स सबमिट कर दिए।
प्रोटीन आधारित इस कोरोना वैक्सीन को सबसे पहले इंडोनेशिया में इस्तेमाल की मंजूरी मिली। इसके साथ ही इस कोरोना वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी देने वाला इंडोनेशिया विश्व का पहला देश बन गया। उल्लेखनीय है कि नोवावैक्स ने अपने वैक्सीन में वर्तमान में उपयोग में लाए जा रहे वैक्सीन से अलग प्रौद्योगिकी अपनाई है। इसके वैक्सीन को अत्यधिक कम तापमान की जरूरत नहीं होगी, जिससे दुनिया के गरीब देशों में इसकी आपूर्ति को बढ़ावा मिलेगा। नोवावैक्स ने यह भी कहा है कि उसने ब्रिटेन, यूरोपीय संघ के देशों, कनाडा, आस्ट्रेलिया, भारत और फिलीपीन में अपने टीके के आपातकालीन उपयोग की अनुमति देने के लिए आवेदन कर रखा है।
दो खुराक वाले इस वैक्सीन को कोरोना वायरस के आवरण, स्पाइक प्रोटीन की प्रयोगशाला में निर्मित प्रतिकृतियों से बनाया गया है। यह फाइजर और माडर्ना जैसे एम-आरएनए वैक्सीन से काफी अलग है, जो शरीर को अपनी खुद की स्पाइक प्रोटीन बनाने के लिए आनुवंशिक निर्देश देते हैं। इंडोनेशियाई महामारी विद डिकी बडीमैन ने के अनुसार इस वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की अनुमति इंडोनेशिया के कोविड-19 वैक्सीनेशन अभियान के लिए एक अहम उपलब्धि है। उन्होंने कहा, इस वैक्सीन का परिवहन, भंडारण और वितरण इंडोनेशिया जैसे देश के लिए काफी आसान होगा, जहां कई द्वीप हैं।' बता दें कि इंडोनेशिया में महामारी से अब तक 1,43,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
भारतीय दवा नियामक ने भी सीरम इंस्टीट्यूट को अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स की वैक्सीन का सात से 11 साल की उम्र तक के बच्चों पर परीक्षण करने की अनुमति दे दी है। सीरम इंस्टीट्यूट अमेरिकी दवा कंपनी की वैक्सीन को देश में कोवावैक्स के नाम से बना रही है। भारत के दवा महानिदेशक (DCGI) से सीरम को पहले ही 12 से 17 साल आयुवर्ग के बच्चों पर इसके परीक्षण को मंजूरी मिल चुकी है। कंपनी ने शुरुआती तौर पर इसका 100 बच्चों पर परीक्षण भी किया है और इसके सुरक्षा संबंधी डाटा भी दवा नियामक को उपलब्ध करा दिए हैं।