यंगून का यह प्लाजा मॉल का प्रतीक बन गया है सैनिक शासन के विरोध

यंगून में मौजूद एक बड़ा मॉल सैनिक शासन के खिलाफ जारी लोकतंत्र समर्थक आंदोलन की शक्ति का प्रतीक बना हुआ है। बीते नवंबर में इस मॉल के सिक्योरिटी गार्डों ने लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों पर हमला कर दिया था।

Update: 2022-01-27 01:10 GMT

यंगून में मौजूद एक बड़ा मॉल सैनिक शासन के खिलाफ जारी लोकतंत्र समर्थक आंदोलन की शक्ति का प्रतीक बना हुआ है। बीते नवंबर में इस मॉल के सिक्योरिटी गार्डों ने लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों पर हमला कर दिया था। तभी लोकतंत्र समर्थक गुटों ने इस मॉल के बहिष्कार की अपील की। यह मॉल पहले चीन के नव वर्ष के मौके पर लोगों के आकर्षण का केंद्र रहता था। इस बार फिर एक फरवरी को पड़ रहे चीनी नव वर्ष को देखते हुए इसे खूब सजाया गया है। लेकिन तमाम रिपोर्टों के मुताबिक इसमें आने वाले लोगों की संख्या बेहद कम है।

जनता के निशाने पर मॉल

मॉल में मौजूद एक दुकान के मालिक ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से सोमवार को कहा- 'दिसंबर की तुलना में अब आने वाले लोगों की संख्या थोड़ी बेहतर है। लेकिन अभी भी ज्यादा ग्राहक नहीं आ रहे हैँ।' पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस मॉल की हालत देश की आम जन भावना का सबूत है। देश में लोग हर उस चीज का विरोध कर रहे हैं, जिसे सैनिक शासन से किसी भी प्रकार संबंधित माना जाता है।

म्यांमार प्लाजा नाम का ये मॉल एक वियतनामी रियल एस्टेट कंपनी ने बनाया था। यह 2015 में चालू हुआ। बाद में उस वियतनामी कंपनी ने इस मॉल को एक दूसरी वियतनामी कंपनी को बेच दिया, जिसका मुख्य कारोबार ऑटोमोबाइल का है। यह म्यांमार का सबसे बड़ा मॉल है। बीते 25 नवंबर को जब लोग सैनिक शासन के विरोध में मॉल के सामने प्रदर्शन कर रहे थे, तब भी सिक्योरिटी गार्डों ने उन पर हमला बोल दिया। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को जबरन वहां से हटा दिया। उसके बाद से ये मॉल जन आक्रोश के निशाने पर है।

मॉल की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई

एक फरवरी को ही म्यांमार में सैनिक तख्ता पलट के एक वर्ष पूरे होंगे। इस मौके पर इस मॉल ने यहां लोगों का ध्यान खींचा है। पिछले दिनों मॉल के प्रबंधकों ने अपने फेसबुक पर एक बयान जारी किया। उसमें 'सुरक्षा गार्डों के अनुचित व्यवहार' के लिए माफी मांगी गई। बयान में कहा गया कि शांतिपूर्ण ढंग से अपने विचारों को जताने का महत्त्व मॉल प्रबंधन समझता है। लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस बयान से आंदोलनकारी संतुष्ट नहीं हुए हैं। ये बात इस बयान के नीचे आए कमेंट्स से जाहिर होती है। एक कमेंट में कहा गया- जो लपट उठी है, वह जल्द शांत नहीं होगी।

बताया जाता है कि मॉल के फेसबुक पेज पर किए गए कुछ कमेंट्स की भाषा धमकी भरी थी। उसे देखते हुए मॉल पर सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई। पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस वजह से मॉल जाने वाले लोगों की संख्या और घट गई है। वेबसाइट निक्कई एशिया के मुताबिक दिसंबर में यंगून में ज्यादातर बाजार खुले रहे। लेकिन पहले जैसी चहल पहल नहीं रही।

गूगल से डाउनलोड किए गए मोबाइल डाटा से संकेत मिलता है कि ज्यादातर कॉमर्शियल स्थलों पर आने-जाने वाले लोगों की संख्या हाल में बढ़ी है। लेकिन ये मॉल अपवाद है। पर्यवेक्षकों के मुताबिक यह सैनिक शासन के प्रति आम लोगों में गहरे बैठे विरोध भाव का संकेत है।


Tags:    

Similar News

-->