ये है दुनिया की सबसे महंगी दवा, एक खुराक के लिए खर्च करने होंगे करोड़ों रुपये

मेडिकल साइंस ने जोल्गेज्मा नामक जीन थेरेपी के रूप में नया करिश्मा किया है.

Update: 2022-04-27 02:49 GMT

वैसे तो हर बीमारी के लिए अलग-अलग तरह ही दवाई इस्तेमाल की जाती हैं और ये बहुत महंगी भी होती हैं. छोटी सी बीमारी के लिए लोगों का लाखों रुपये का बिल बन जाता है. लेकिन फिर भी क्या आपको पता है कि दुनिया की सबसे महंगी दवा कौन सी है? यह किस बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होती है? हाल ही में इंग्लैंड में एक साल के बेबी एडवर्ड को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी की बीमारी हुई. तब लोगों को दवाई की महंगाई के बारे में पता चला.

ये दवा है सबसे महंगी!
हमारी सहयोगी वेबसाइट DNA हिंदी की रिपोर्ट के अनुसार इंग्लैंड में एक साल के बेबी एडवर्ड को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (Spinal Muscular Atrophy) बीमारी हुई. इस बीमारी के इलाज के लिए एडवर्ड को दुनिया की सबसे महंगी दवा जोलगेज्मा (Zolgensma Drug) दी जा रही है.
क्या होता है इस बीमारी में?
SMA से मांसपेशियों की ग्रोथ के लिए जरूरी प्रोटीन की कमी हो जाती है. इस बीमारी से पीड़ित मरीज ना तो बैठ सकता है और ना ही खड़ा हो सकता है. उसका चलना-फिरना सब बंद हो जाता है. ऐसे मरीजों के इलाज में जोल्गेज्मा काफी क्रांतिकारी दवा मानी जाती है.
इस बीमारी के लक्षण क्या हैं?
जो बच्चे स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 से पीड़ित होते हैं, उनकी मांसपेशियां कमजोर होती हैं, शरीर में पानी की कमी होने लगती है और स्तनपान करने में और सांस लेने में दिक्कत होती है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की मांसपेशियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि वो हिलने-डुलने लायक तक भी नहीं रहती हैं.
कितनी खतरनाक है यह बीमारी?
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी के लिए जिम्मेदार जीन शरीर में तंत्रिका तंत्र के सुचारु रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक प्रोटीन के निर्माण को बाधित कर देता है, जिसके फलस्वरूप तंत्रिका तंत्र नष्ट हो जाता है और पीड़ित बच्चों की मौत हो जाती है. दरअसल, यह मांसपेशियों को खराब कर देने वाली एक दुर्लभ बीमारी है. जब यह बीमारी गंभीर हो जाती है तो बच्चों के दो साल के होने से पहले ही उनकी मौत हो जाती है.
कितनी है कीमत
इस दवा की कीमत 1.79 मिलियन पाउंड (करीब 18 करोड़ रुपये) है. इसे दुनिया की सबसे महंगी दवा माना जाता है. यह दवा जब एडवर्ड को दी गई तो वह काफी हद तक ठीक हो गया. मेडिकल साइंस ने जोल्गेज्मा नामक जीन थेरेपी के रूप में नया करिश्मा किया है.


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