इन 8 तरीकों से मानव सभ्यता से संपर्क कर सकते हैं परग्रही
दुनियाभर में एलियंस को लेकर कई तरह के दावे किए जाते हैं, कोई इन्हें देखने का दावा कर चुका है तो कोई
दुनियाभर में एलियंस को लेकर कई तरह के दावे किए जाते हैं, कोई इन्हें देखने का दावा कर चुका है तो कोई इनसे संपर्क करने की बात कहता है. हॉलीवुड फिल्मों की कहानियों में ये सब दिखने में बेहद आसान और सामान्य लगता है लेकिन ऐसे कुछ तरीके भी बताए जाते हैं, जिनके जरिए हो सकता है कि एलियंस मानव सभ्यता से संपर्क कर रहे हों. इनमें से एक तरीका है एलियन मेगाकन्सट्रक्शन (Mega Construction). ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई रहस्यमयी तारा बार-बार डिम हो या उसकी रोशनी में कमी आए तो इसका मतलब है कि उसके आसपास एलियन मौजूद हैं. यानी तारे की रोशनी में परिवर्तन एलियन मेगाकन्सट्रक्शन के कारण होता है.
इस प्रक्रिया के तहत तारे के डिम होने पर उससे प्राप्त रोशनी की कुछ ही वेवलेंस दूसरी वेवलेंस की तुलना में ब्लॉक हो जाती हैं. यही कारण है कि वैज्ञानिकों ने ऐसे ही एक तारे KIC 8462852 पर अपनी नजर बनाई हुई है. ये सितारा बीते कई साल से डिम हो रहा है और चमकता है. इसके पीछे का कारण कुछ वैज्ञानिक एलियंस की मौजूदगी को बताते हैं. जो सितारे की रोशनी को ब्लॉक कर देते हैं. साल 2015 में तो वैज्ञानिकों को यहां से कोई जानकारी ही नहीं मिल रही थी. तब एक अध्ययन में कहा गया था कि धरती पर लेजर सिग्नल भेज रही किसी भी अडवांस सभ्यता के बारे में कुछ पता नहीं चला है.
लेजर पल्सिस से भेज सकते हैं संदेश
दूसरा तरीका लेजर पल्सिस (Laser Pulses) को बताया जाता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि लेजर के जरिए सिग्नल और संदेश काफी दूरी तक भेजे जा सकते हैं और ऐसा हो सकता है कि एलियंस इसके जरिए संपर्क कर रहे हों. इसके लिए वैज्ञानिक प्राकृतिक घटनाओं के जरिए चमकती रोशनी का सहारा लेते हैं लेकिन आज तक कोई सिग्नल से जुड़ा सबूत नहीं मिला है. तीसरा तरीका है रोबोट प्रोबिंग (Robot Probes). वैज्ञानिकों का कहना है कि ये भी हो सकता है कि एलियंस किसी चीज या उस तकनीक के माध्यम से संपर्क कर रहे हों, जिनके बारे में हम नहीं जानते है. हो सकता है कि वो हमसे अधिक अडवांस हों.
रेडियो वेव्स का अध्ययन
चौथा तरीका रेडियो वेव्स (Radio Waves) को बताया जाता है. साल 1959 में जरनल नेचर में प्रकाशित एक पेपर में फिजिसिस्ट फिलिप मोरिसन ने कहा था कि एलियंस से संबंधित जानकारी के लिए वैज्ञानिकों को रेडियो वेव्स पर भी ध्यान देना चाहिए. इसके लिए टेलीस्कोप से मिले डाटा का भी इस्तेमाल होता है. लेकिन वैज्ञानिकों की खोज और रेडियो वेव्स पर अध्ययन के समय ये सोचा जाता है कि शायद एलियन इंसानों की तरह ही सोच रहे हैं, लेकिन जरूरी नहीं है कि ऐसा वास्तव में हो.
वेस्ट रेडिएशन भी एक तरीका
पांचवां तरीका उन वेस्ट हो चुके रेडिएशन (Radiating Away) की खोज से जुड़ा है, जिसके मिलने पर ऐसा हो सकता है कि एलियन के वजूद की जानकारी मिल सके, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि जरूरी नहीं दूसरे ग्रह के लोग वास्तव में संपर्क करना चाहें, ऐसा हो सकता है कि वह अपना वजूद छिपा रहे हों. इस तरह की रेडिएशन के बारे में जानकारी एकत्रित करने के लिए एलेन टेवीस्कोप एरे और वाइड-फील्ड इन्फ्रारेज सर्वे एक्सप्लोरर (डब्यूआईएसई) स्पेस टेलीस्कोप के खोजकर्ता तलाश कर रहे हैं.
सितारों की मूवमेंट नियंत्रित करना
छठा तरीका सितारों के डांस (Star Dance) को बताया जाता है. ऐसा हो सकता है कि दूसरे ग्रह के लोग अधिक उन्नत एस्ट्रो-इंजीनियर हों और सितारों की मूवमेंट को नियंत्रित कर सकें या कुछ ऐसा बना सकें, जो काफी दूरी से भी देखा जा सके. जब न्यूट्रिनो स्टार्स मिले थे, तब वैज्ञानिकों को ऐसा लगा था कि एलियंस संपर्क कर रहे हैं. सातवां तरीका ऐसा हो सकता है कि एलियंस संदेश तो भेज रहे हैं लेकिन वो हमें मिल ही ना रहे हों. चूंकी ब्राह्मांड काफी बड़ा है, तो कौन सा संदेश कहां से आ रहा है, इस बारे में जानकारी हासिल करना मुश्किल लगता है.
अंतरिक्ष से जुड़े मिशन
वैज्ञानिक कहते हैं कि धरती की ट्रांजिट जोन में मौजूद 82 सितारों के बारे में हमें जानकारी है लेकिन इनकी संख्या हजारों में हो सकती है, तो कौन सा संदेश कहां से आ रहा है, इसकी जानकारी मिल पाना मुश्किल है. ऐसा हो सकता है कि इनमें से अगर किसी के बारे में हम जान लें तो हमें वो संदेश भी मिल जाएं. अंतरिक्ष से जुड़े मिशन (Part of Space Exploration) वो आठवां तरीका है, जिसके जरिए एलियन हमसे बात कर सकते हैं. अधिकतर देश ऐसे बड़े मिशन के तहत अंतरिक्ष में यान भेज रहे हैं, जिनके जरिए वहां जीवन की संभावनाओं का पता लगाया जा रहा है. तो हो सकता है कि इसी तरह उनसे भी संदेश मिल जाएं.