तालिबानी शासन के दौरान अफगानिस्तान में हुए ये 10 'बड़े बदलाव', देश हो रहा बर्बाद
महिलाओं को काम पर जाने से रोका जा रहा है.
1. महिलाओं पर तमाम पाबंदी- तालिबान ने आते ही वो करना शुरू कर दिया, जो उसने अपने पिछले शासन में किया था. महिलाओं को काम पर जाने से रोका जा रहा है और विरोध प्रदर्शन करने पर उनके साथ मारपीट हो रही है (Protests in Afghanistan). तालिबानी प्रवक्ता ने इसी महीने कहा कि उसे नहीं लगता महिलाओं को क्रिकेट खेलने की अनुमति दी जानी चाहिए. उसने इसे इस्लाम के खिलाफ बताया और कहा कि यह गैर जरूरी है.
2. संगीत पर रोक- तालिबान ने अपने गढ़ कंधार में रेडियो स्टेशंस (Kandhar Radio Stations) को संगीत बजाने से जुड़ा एक आदेश जारी किया है. रेडियो स्टेशनों से हिंदी और फारसी पॉप संगीत और कॉल-इन शो के बजाय देशभक्ति से जुड़े गाने बजाने को कहा गया है.
3. संस्कृति मे बदलाव: तालिबान ने कहा कि सांस्कृतिक गतिविधियों की इजाजत तभी तक है, जब वो शरिया कानून और अफगानिस्तान की इस्लामिक संस्कृति के तहत हों. महिलाओं के लिए बुर्का और अबाया पहनना अनिवार्य किया गया, जबकि पुरुषों को जींस के बजाय पारंपरिक कुर्ता सलवार पहनने को कहा गया है.
4. पंजशीर में जारी विद्रोह- अफगानिस्तान के पंजशीर प्रांत (Panjshir Province) में अहमद मसूद के नेतृत्व में नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स तालिबान के खिलाफ जंग लड़ रहा है. लेकिन तालिबान लगातार इन लोगों पर आक्रमण कर यहां कब्जा जमाने की पूरी कोशिश में है. ये प्रांत तालिबान के कब्जे से बाहर है इसलिए वो अपने बाकी संसाधनों को यहां लड़ाई में लगा रहा है.
5. आतंकियों के हाथ में देश की कमान- तालिबान ने 7 सितंबर को आतंरिक सरकार का ऐलान किया. जिसमें मोस्ट वॉन्टेड वैश्विक आतंकी शामिल हैं (Taliban Government). इसके अलावा कट्टरपंथी मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को प्रधानमंत्री बनाया गया है. यानी देश से जुड़े अहम फैसले पढ़े-लिखे लोग नहीं बल्कि आतंकी ले रहे हैं.
6. महिलाओं को राजनीति में कोई जगह नहीं- महिलाओं से रोजगार छीनने के अलावा तालिबान ने उन्हें सरकार में भी कोई जगह नहीं दी है. यहां तक कि महिला कल्याण से जुड़ा मंत्रालय भी नहीं है (Afghan Women). तालिबानी नेता वाहिदुल्लाह हाशमी ने तो इतना तक कहा है कि अफगान महिलाओं को पुरुषों के साथ काम की अनुमति भी नहीं मिलनी चाहिए. अगर ऐसा होता है, तो महिलाएं बैंक, सरकारी दफ्तर, मीडिया कंपनी सहित कई जगह काम नहीं कर सकेंगी.
7. बिना इजाजत प्रदर्शन नहीं- तालिबानी शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को स्वीकार नहीं किया जाएगा. तालिबानी सरकार ने आदेश जारी किया है कि अगर कोई प्रदर्शन करना चाहता है तो उसे पहले न्याय मंत्रालय से मंजूरी लेनी होगी. साथ ही सरकारी अधिकारियों और सुरक्षा एजेंसियों को प्रदर्शन के स्लोगन, स्थान, समय और बाकी की जानकारी देनी होगी.
8. पत्रकारों को यातनाएं दी गईं- तालिबान लगातार पत्रकारों को यातनाएं देकर उनकी हत्या कर रहा है. देशभर में मानवाधिकारों का हनन हो रहा है. पत्रकार काफी डरे हुए हैं और दो दशक में उन्होंने जिस तरह निडरता से काम किया, वो अब वैसा नहीं कर सकते.
9. देश छोड़कर जा रहे लोग- तालिबान के आने के बाद लोग देश छोड़कर जा रहे हैं. वहीं 2015 के सीरिया शरणार्थी संकट (Refugee Crisis in Afghanistan) ने यूरोप को इस कदर प्रभावित किया, कि अब वो और अधिक शरणार्थी नहीं चाहता. ग्रीस शरण लेने वाले अफगानों पर रोक लगाने का विचार कर रहा है. उसका कहना है कि इस संकट को हल करने की जिम्मेदारी यूरोप को सामूहिक रूप से लेनी चाहिए. ग्रीस का कहना है कि वो फिर से यूरोप का प्रवेश द्वार नहीं बनना चाहता. तुर्की के अधिकारियों ने देश में किसी भी शरणार्थी की आमद को रोकने के प्रयास तेज कर दिए हैं.
10. बढ़ रहा है आर्थिक संकट- काबुल पर तालिबानी कब्जे का एक महीना पूरा होते ही देश में आर्थिक संकट बढ़ता दिख रहा है. सूखे और अकाल से बचने के लिए हजारों लोग शहरों की तरफ भाग रहे हैं (Economy Crisis in Afghanistan). लेकिन यहां भी कैश की कमी के कारण लोगों के पास खाना खरीदने के पैसे नहीं हैं. संयुक्त राष्ट्र ने आशंका जताई है कि इस देश के 1.4 करोड़ लोग भुखमरी की तरफ बढ़ रहे हैं.