'महिलाओं की सुरक्षा' वाली अंतरराष्ट्रीय संधि से बाहर होते ही इस देश में मचा बवाल, फैसले के खिलाफ देशभर में Protest

अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को पीछे धकेलने के समान है.

Update: 2021-07-02 07:20 GMT

इस्तांबुल: मुस्लिम देश तुर्की (Muslim Nation Turkey) महिलाओं की सुरक्षा (Women Safety) को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं है. यही वजह है कि उसने महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ी एक अंतरराष्ट्रीय संधि (International Treaty) से खुद को अलग कर लिया है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि इस संधि पर तुर्की राजधानी इस्तांबुल में ही हस्ताक्षर किए गए थे. हालांकि, राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) ने विश्वास दिलाया है कि संधि से पीछे हटने का मतलब महिलाओं की सुरक्षा से समझौता बिल्कुल नहीं है, लेकिन जनता को राष्ट्रपति के 'विश्वास' पर विश्वास नहीं है.

Amnesty International ने जताया विरोध
राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) के इस फैसले के खिलाफ तुर्की में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं. हजारों महिलाओं और LGBTQ समूह ने गुरुवार को सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया. तुर्की अब आधिकारिक रूप से 'काउंसिल ऑफ यूरोप्स इंस्तांबुल कन्वेंशन (Council of Europe's Istanbul Convention) से अलग हो गया है. वहीं, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी तुर्की के इस फैसले की आलोचना की है.
President Erdogan ने दिए ये तर्क
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन का कहना है कि संधि से पीछे हटने से महिला अधिकारों के साथ समझौता नहीं हो जाता. उन्होंने कहा कि जैसे महिला अधिकारों की लड़ाई कन्वेंशन के शुरू होने से आरंभ नहीं होती थी, वैसे ही कन्वेंशन के खत्म होने से समाप्त भी नहीं होगी. बता दें कि इससे पहले मार्च में राष्ट्रपति एर्दोगन ने अचानक एक डिक्री के माध्यम से कंवेशन में अपने देश की भागीदारी को खत्म कर दिया था, जिसका महिला अधिकार समूहों और पश्चिमी देशों ने जमकर विरोध किया था.
America ने भी की Turkey की निंदा
तुर्की सरकार ने बयान जारी करते हुए कहा है कि इस्तांबुल कन्वेंशन उन लोगों द्वारा हाइजैक कर लिया गया है, जो होमोसेक्सुअलिटी को सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं और यह देश के सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों के खिलाफ है. वहीं, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस (U.S. State Department Spokesperson Ned Price) ने तुर्की के इस कदम की निंदा की है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा है कि संधि से तुर्की का हटना बेहद निराशाजनक है और यह महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा को समाप्त करने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को पीछे धकेलने के समान है.


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