धरती पर मंडरा रहा बड़ा खतरा, दुनिया भर में मचेगी खलबली
अमेरिका में टेलीग्राफ नेटवर्क को भारी नुकसान पहुंचा था. बता दें कि दुनिया में सौर तूफान की घटनाएं कम ही होती हैं.
आज धरती से सौर तूफान टकरा सकता है. एक स्पेस साइंटिस्ट और भौतिक विज्ञानी ने यह दावा किया है. सौर तूफान में सूर्य की सतह में बड़े विस्फोट होते हैं, जिसमें से आखिर में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन और तेज गर्मी पैदा होती है. हालांकि पृथ्वी गर्मी से तो प्रभावित नहीं होगी लेकिन नासा के मुताबिक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन का असर पड़ सकता है और इससे अस्थायी तौर पर सिग्नल ट्रांसमिशन प्रभावित हो सकते हैं.
14 जून को सूर्य से सौर तूफान उठा था और नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने इसे लेकर अलर्ट भी जारी किया था. भौतिक वैज्ञानिक डॉ तमिथा स्कोवी ने इस सौर तूफान को लेकर ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने लिखा था, 'सीधा प्रहार, धरती के स्ट्राइक जोन में एक सांप जैसा फिलामेंट बड़े तौर तूफान के तौर पर लॉन्च हुआ है. नासा ने 19 जुलाई को इसके प्रभाव के बारे में बताया था. इसकी वजह से सैटेलाइट प्रभावित हो सकते हैं, साथ ही जीपीएस और रेडियो के काम में भी दिक्कतें आ सकती हैं. अगर ऐसा होता है तो सौर तूफान के कारण धरती पर अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बिजली जा सकती है.'
स्कोवी के मुताबिक इस सौर तूफान के कारण रेडियो और जीपीएस ठप हो जाएंगे. सौर तूफान का असर मोबाइल फोन के सिग्नल पर भी हो सकता है, जिससे ब्लैकआउट का भी खतरा है. सौर तूफानों को अकसर उनके प्रभाव के कारण श्रेणियों में बांटा गया है. यह जी-3 लेवल का सौर तूफान है, जो ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाएगा.
कई बार आ चुका है सौर तूफान
हालांकि ऐसा नहीं है कि सौर तूफान पहली बार आ रहा है. साल 1989 में भी दुनिया ने सौर तूफान झेला था. उस वक्त इस घटना के कारण कनाडा के क्यूबेक शहर पर काफी असर पड़ा था. जबकि 1859 में आए सौर तूफान के कारण यूरोप और अमेरिका में टेलीग्राफ नेटवर्क को भारी नुकसान पहुंचा था. बता दें कि दुनिया में सौर तूफान की घटनाएं कम ही होती हैं.