Vladimir Putin Profile in Hindi: '50 साल पहले लेनिनग्राड की सड़कों ने मुझे एक सबक दिया था और वो ये कि अगर लड़ाई होनी ही है तो आपको पहला मुक्का मारना होगा.' ये बात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अक्टूबर 2015 में कही थीं.
व्लादिमीर पुतिन का घर लेनिनग्राड में था, जिसे आज सेंट पीटर्सबर्ग के नाम से जाना जाता है. पुतिन की अक्सर अपने से बड़े लड़कों से लड़ाई होती रहती थी. यही वजह थी कि उन्होंने मुकाबला करने के लिए जूडो सीखा.
व्लादिमीर पुतिन इन दिनों चर्चा में हैं. वजह है कि अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की चेतावनियों और दबाव के बावजूद पुतिन झुकने को तैयार नहीं हैं. पुतिन अपने पड़ोसी यूक्रेन पर हमले की तैयारी कर चुके हैं. बल्कि उसके दो हिस्सों को तोड़कर अलग देश के रूप में मान्यता भी दे चुके हैं. अब अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने यूक्रेन पर कभी भी रूसी हमले की आशंका जताई है. यानी एक तरफ अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देश हैं तो दूसरी ओर पुतिन अकेले.
7 अक्टूबर 1952 को सोवियत संघ के लेनिनग्राड में व्लादिमीर व्लादिमीरोविच पुतिन और मारिया इवानोवना के घर व्लादिमीर पुतिन का जन्म हुआ. वो अपने माता-पिता की तीसरी संतान थे. उनके दो बड़े भाइयों की बचपन में ही बीमारी से मौत हो गई थी. यही पुतिन आगे जाकर खुफिया एजेंसी केजीबी के जासूस बने और फिर रूस के राष्ट्रपति.
लेकिन एक जासूस इतना ताकतवर कैसे बन गया?
- पुतिन के दादा स्पिरिडोन पुतिन सोवियत नेता व्लादिमीर लेनिन और जोसेफ स्टालिन के पर्सनल कुक थे. पुतिन के पिता सोवियत नेवी में तो उनकी मां फैक्ट्री में काम किया करती थीं.
- सितंबर 1960 से पुतिन ने अपने घर के पास के ही एक स्कूल से पढ़ाई शुरू की. उन्होंने सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की.
- 1975 में पुतिन ने सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी KGB को जॉइन किया. 1980 के दशक में उन्हें जर्मनी के ड्रेसडेन में एजेंट के तौर पर तैनात किया गया. ये विदेश में उनकी पहली तैनाती थी.
- करीब 16 सालों तक जासूस का काम करने के बाद पुतिन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीति में आ गए.
फिर बने रूस के राष्ट्रपति
- 1991 के आखिर में सोवियत संघ टूट गया. 25 दिसंबर 1991 को सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोफ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और रूस के नए राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन (Boris Yeltsin) को सत्ता सौंप दी.
- उसी रात रूस के राष्ट्रपति भवन, जिसे क्रेमलिन कहा जाता है, वहां से सोवियत संघ का झंडा उतार दिया गया और रूसी झंडा फहराया गया. अगले ही दिन औपचारिक रूप से सोवियत संघ को खत्म कर दिया गया.
- व्लादिमीर पुतिन रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के करीबी बन गए और राजनीति में अपनी जगह बनाते चले गए. 1999 में येल्तसिन ने पुतिन को प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्त किया.
- 31 दिसंबर 1999 को येल्तसिन ने राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया. उनके बाद पुतिन कार्यवाहक राष्ट्रपति बने. 26 मार्च 2000 को पुतिन ने अपना पहला राष्ट्रपति चुनाव जीता. मार्च 2004 में पुतिन दूसरी बार राष्ट्रपति चुने गए. उन्हें 70 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे.
प्रधानमंत्री और फिर 2036 तक सत्ता में बने रहने का रास्ता साफ किया
- 1993 का रूसी संविधान कहता है कि कोई भी व्यक्ति लगातार दो कार्यकाल तक राष्ट्रपति बना नहीं रह सकता है. लिहाजा 2008 में पुतिन को पद छोड़ना पड़ा.
- पुतिन ने दिमित्री मेदवेदेव को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और खुद प्रधानमंत्री बन गए. मेदवेदेव की सरकार में संविधान में संशोधन किए गए और तय किया कि राष्ट्रपति का कार्यकाल अब 4 साल की बजाय 6 साल का होगा.
- चूंकि पुतिन प्रधानमंत्री रह चुके थे, इसलिए वो 2012 में तीसरी बार रूस के राष्ट्रपति चुने गए. मार्च 2018 में पुतिन चौथी बार राष्ट्रपति बने. 2018 के चुनाव में पुतिन को 75 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे.
- जुलाई 2020 में पुतिन एक संविधान संशोधन लेकर आए. इससे उन्हें 2036 तक राष्ट्रपति बने रहने की ताकत मिल गई. पुराने कानून की जगह नए कानून ने ले ली, इसलिए पुतिन 2024 में फिर से दो बार राष्ट्रपति का चुनाव लड़ सकते हैं. 2024 के बाद 2030 में राष्ट्रपति चुनाव होंगे. इस तरह पुतिन चाहें तो 2036 तक राष्ट्रपति बने रह सकते हैं.
विपक्ष-मीडिया सब पर पुतिन का कंट्रोल
- पूर्व जासूस होने के कारण पुतिन की पहचान ताकतवर नेता की है. मीडिया में उनकी कई तस्वीरें सामने आती हैं जो उन्हें एक दमदार व्यक्ति बताती है. कभी उनकी जूडो लड़ते तस्वीरें सामने आती हैं तो कभी काला सागर में पनडुब्बी में सफर करते हुए.
- पुतिन ने अपने शासन में विपक्ष और मीडिया पर कंट्रोल किया हुआ है. 1999 में भी जब येल्तसिन ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया तो कई इस फैसले के खिलाफ थे, लेकिन पुतिन को कोई नहीं रोक सका.
- 2008 में जब पुतिन ने राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दिया और दिमित्री मेदवेदेव को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया तब विपक्ष ने इस पर सवाल उठाए. आरोप लगा कि भले ही कुर्सी मेदवेदेव के पास होगी, लेकिन उसकी चाबी पुतिन के पास ही रहेगी.
- 2015 में विपक्षी नेता बोरिस नेमत्सोव की क्रेमलिन के पास ही हत्या कर दी गई. 5 लोग दोषी ठहराए गए, लेकिन इस पर सवाल उठाए गए. 2020 में विपक्षी नेताल अलेक्सी नवेलनी ने पुतिन की जमकर आलोचना की.
- जनवरी 2021 में नवेलनी जैसे ही बर्लिन से लौटे, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. नवेलनी के समर्थन में हजारों लोग रूस की सड़कों पर उतर आए. ये पहली बार था जब रूस की सड़कों पर पुतिन के खिलाफ इतना बड़ा प्रदर्शन हुआ. हालांकि, इस विरोध को दबा दिया गया और पुलिस ने हजारों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया.
- राष्ट्रपति पुतिन पर लोकतंत्र को दबाने के भी आरोप लगते रहे हैं. उनकी सरकार में विपक्षी नेताओं के बोलने पर पाबंदी की खबरें आती रहती हैं. रूस में एक बार विपक्षी रैली में एक व्यक्ति ने अपने मुंह पर टेप चिपका रखा था, जिस पर पुतिन लिखा था.
क्या अगला सुपरपावर रूस होगा?
- अभी अमेरिका सुपरपावर है, लेकिन रूस भी सुपरपावर बनने की ओर कदम बढ़ा रहा है. रूस अमेरिका के बाद एक दिन में सबसे ज्यादा तेल उत्पादन करने वाला देश है. 2020 के आंकड़ों के मुताबिक, रूस हर दिन 10.7 मिलियन बैरल से ज्यादा तेल का उत्पादन करता है.
- डिफेंस सेक्टर में भी रूस अमेरिका को टक्कर दे रहा है. दुनिया में रूस की सेना अमेरिका के बाद दूसरी बड़ी सेना है. रूस अपना रक्षा बजट लगातार बढ़ा रहा है. 2020 में रूस ने अपनी सेना पर 61.7 अरब डॉलर का खर्च किया था.
- सबसे ज्यादा परमाणु हथियारों के मामले में रूस अमेरिका से भी आगे है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के मुताबिक, 2020 तक रूस के पास 6,375 परमाणु हथियार थे तो अमेरिका के पास 5,800 हथियार हैं.
- करीब 30 साल पहले अपनी नई पहचान बनाने वाला रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है. रूस के पास वीटो पावर भी है. अमेरिका, फ्रांस, रूस, चीन और यूके के पास ही वीटो पावर है.