अध्ययन में पता चला- कोरोना से ठीक हुए मरीज मानसिक दिक्कतों से हो सकते हैं पीड़ित
एक नए अध्ययन के मुताबिक कोरोना से ठीक होने वाले लोगों को न्यूरोसाइकाइट्रिक डिजीज और मानसिक दिक्कतों से जूझना पड़ सकता है
एक नए अध्ययन के मुताबिक कोरोना से ठीक होने वाले लोगों को न्यूरोसाइकाइट्रिक डिजीज और मानसिक दिक्कतों से जूझना पड़ सकता है। जर्नल 'फ्रंटियर इन साइकोलॉजी' में यह शोध प्रकाशित हुआ है। शोध करने वाली टीम में भारतीय मूल का एक विज्ञानी भी शामिल है। अध्ययन से पता चलता है कि 95 फीसद ऐसे लोग जो बीमारी से पहले मानसिक तौर पर पूरी तरह ठीक थे, वह संक्रमण से ठीक होने के बाद पोस्ट ट्रामेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) से प्रभावित थे।
ठीक होने के बाद अवसाद संबंधी समस्याओं से ग्रस्त थे 42 फीसद मरीज
अन्य अध्ययनों का विश्लेषण करने से यह भी पता चला कि 17-42 फीसद मरीज संक्रमण से ठीक होने के बाद अवसाद संबंधी समस्याओं से ग्रस्त थे। ऑक्सफोर्ड ब्रूक्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता संजय कुमार ने कहा, 'कोरोना से होने वाली न्यूरोसाइकाइट्रिक और मानसिक दिक्कतों को समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि करोड़ों लोग जहां इसकी चपेट में है वहीं अभी भी लाखों लोगों में इसकी पहचान नहीं की जा सकी है।'
ऐसे मरीजों की संख्या होती है लगभग 44 फीसद
संजय कुमार ने कहा कि इन परिस्थितियों से ना केवल लोगों की काम करने की शैली प्रभावित हुई है बल्कि उनके घरों का वित्तीय प्रबंधन भी चौपट हुआ है। पारिवारिक मामलों में फैसला लेने की उनकी प्रक्रिया पर असर पड़ा है। लंबी अवधि की बात करें तो न्यूरोसाइकाइट्रिक दिक्कतों से लोगों में डिसऑर्डर के साथ-साथ थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसे मरीजों की संख्या लगभग 44 फीसद होती है। याददाश्त संबंधी दिक्कतें 25 से 50 फीसद मरीजों में देखने को मिलती हैं।
शोधकर्ताओं ने 200 से ज्यादा मरीजों पर अध्ययन करके यह निष्कर्ष निकाला है। गंभीर से लेकर हल्के लक्षणों वाले कोरोना रोगियों को अध्ययन में शामिल किया गया था।