ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ता ने बताया- बदलते रूपों के साथ बदलते हैं इसे लक्षण

अन्य वैरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक है इसे लेकर वैज्ञानिक समुदाय पूरी तरह से आश्वस्त है.

Update: 2021-07-03 09:54 GMT

ऑस्ट्रेलिया (Australia) के ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी में रिसर्च लीडर लारा हरेरो ने बताया कि हम 18 महीनों से भी अधिक समय से कोरोना (Corona) की दुनिया में रह रहे हैं. महामारी, सरकारी एजेंसियों व स्वास्थ्य अधिकरणों की ओर से इस महामारी को लेकर सलाह और बचाव के उपाय बताए जा रहे हैं. साथ ही इस वायरस से संक्रमण के लक्षणों की पहचान के भी तरीके बताए गए हैं. उन्होंने बताया कि जिस तरह वायरस अपना रूप बदल रहा है उसके लक्षणों में भी बदलाव आता जा रहा है. सामान्य लक्षण जैसे गले में खराश, कफ, बुखार कोविड-19 के शुरुआती लक्षण रहे हैं लेकिन अब इनमें भी बदलाव देखा जा रहा है. नए आंकड़ों से यह बात सामने आई है कि डेल्टा वैरिएंट के चपेट में आने वालों में महामारी की शुरुआत में जो लक्षण दिख रहे थे वैसा नहीं है. ऑस्ट्रेलिया में इन दिनों मिल रहे संक्रमण के अधिकतर मामले डेल्टा वैरिएंट के हैं.

रिसर्च लीडर ने बताया कि हम सभी अलग इंसान हैं और हमारी क्षमताएं भी एक दूसरे से भिन्न है. हमारी अलग क्षमताओं के अनुसार हमारी इम्यून पावर भी अलग है. इसका मतलब यही है कि एक ही वायरस अलग अलग इंसान में भिन्न लक्षण के साथ आएगा. कुछ में ये लक्षण देखे जा सकते हैं जैसे रैशेज वहीं कुछ में ये महसूस करने वाले होंगे जैसे गले में खराश. बुखार और कफ कोविड के सामान्य लक्षण हैं वहीं गले में खराश व सिरदर्द भी कुल लोगों में संक्रमण का चिन्ह रहा है. इसके अलावा नाक से पानी चलना प्रारंभिक आंकड़ों में संक्रमण के लक्षण में शामिल था. इसके अलावा गंध और स्वाद का जाना भी कोरोना वायरस संक्रमण का लक्षण है. 
हालांकि नए वायरल वैरिएंट पर वैक्सीन का असर हो सकता है. डेल्टा वैरिएंट से बचाव के लिए ऑस्ट्रेलिया में वैक्सीन (फाइजर और एस्ट्राजेनेका) की दो खुराक पर्याप्त है. बता दें कि दोनों वैक्सीन 90 फीसद कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव में कारगर है. न्यू साउथ वेल्स में हाल ही में हुए 'सुपरस्प्रेडर' इवेंट में वैक्सीनेशन की महत्ता पर प्रकाश डाला गया था. बर्थ डे पार्टी में शामिल 30 लोगों में से 24 डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित हुए जिन्होंने वैक्सीन की खुराक नहीं ली थी नहीं. वहीं 6 लोग संक्रमित नहीं हुए क्योंकि वे वैक्सीन की खुराक ले चुके थे.
कुछ मामलों में वैक्सीनेशन के बावजूद संक्रमण अभी भी संभव है लेकिन इसका असर कम होगा और लक्षण भी कम होंगे. शारीरिक दूरी, मौसम में बदलाव, वैक्सीनेशन दर से आंकड़ों पर असर हुआ है. डेल्टा वैरिएंट कोरोना वायरस के अन्य वैरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक है इसे लेकर वैज्ञानिक समुदाय पूरी तरह से आश्वस्त है. 


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