राष्ट्रपति को थप्पड़ मारने वाले शख्स ने खुद को बताया 'देशभक्त', कोर्ट ने सुनाई इतने महीने की सजा
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (French President Emmanuel Macron) को थप्पड़ मारने के अपराध में एक अदालत ने 28 वर्षीय व्यक्ति को गुरुवार को चार महीने की सज़ा सुनाई. वह खुद को दक्षिणपंथी या अति दक्षिणपंथी 'देशभक्त' बताता है. अदालत (Court) ने डेमियन तरेल पर फ्रांस (France) में कभी भी सार्वजनिक पद पर आसीन होने और पांच साल तक हथियार (Weapon) रखने पर भी रोक लगा दी है.
उसने मंगलवार को राष्ट्रपति के मुंह पर उस समय थप्पड़ मारा था जब वह लोगों से मिल रहे थे. गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान तरेल ने कहा कि हमला आवेग में आकर किया गया था और पहले से इसकी कोई योजना नहीं बनाई गई थी. सुनवाई के दौरान वह दक्षिणी शहर वालेंस की अदालत में सीधा बैठा रहा और उसने कोई भाव प्रदर्शित नहीं किए.
खुद को बताया 'देशभक्त'
अदालत ने उसे सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ हिंसा करने के आरोप में दोषी ठहराया. उसे चार माह की जेल सज़ा सुनाई गई है और 14 महीने की निलंबित सज़ा दी गई है. फैसले के बाद उसकी प्रेमिका रोने लगी. तरेल ने राष्ट्रपति को थप्पड़ मारते समय सदियों पुराने शाही युद्ध का नारा लगाया और खुद को दक्षिण पंथी या अति दक्षिणपंथी 'देशभक्त' बताया.
देश के पतन का लगाया आरोप
साथ में यह भी बताया कि वह पीले जैकेट आर्थिक आंदोलन का सदस्य है जो 2018-2019 में हुआ था. उसने मैक्रों के विरूद्ध किए गए अपने कृत्य और अपने विचारों का दृढ़ता से बचाव किया और यह नहीं बताया कि वह फ्रांस से कौन सी नीतियों में बदलाव करना चाहता है. उसने कहा कि मुझे लगता है कि इमैनुएल मैक्रों हमारे देश के पतन का प्रतिनिधित्व करते हैं.
घर पर मिली हिटलर की किताब
मैक्रों ने गुरुवार को हुई सुनवाई पर टिप्पणी नहीं की लेकिन इस बात पर जोर दिया कि लोकतांत्रिक समाज में कभी भी हिंसा को जायज नहीं ठहराया जा सकता है. फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों को दक्षिण-पूर्वी फ्रांस के एक छोटे शहर वालेंस की यात्रा के दौरान मंगलवार को थप्पड़ मारा गया था. इस घटना के बाद से फ्रांस में चरमपंथ के बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है.
इससे पहले खबर आई थी कि इस मामले में गिरफ्तार संदिग्ध के घर पुलिस ने छापा मारा है. जहां पुलिस को हथियार और जर्मन तानाशाह एडॉल्फ हिटलर की लिखी किताब मीन काम्फ (Mein Kampf) की एक कॉपी मिली है. इस बात की जानकारी फ्रांस की मीडिया ने दी है. फ्रांस में अगले साल राष्ट्रपति पद के चुनाव भी होने हैं, तो ऐसे में चुनावी अभियानों की सुरक्षा को लेकर भी डर है.