ग्रीस में अब भी जारी कुदरत का कहर, प्रधानमंत्री क्यारीकोस मित्सोटाकिस का आया ये बयान

ग्रीस अब तक की सबसे खराब हीटवेव का सामना कर रहा

Update: 2021-08-10 12:09 GMT

यूरोपीय देश ग्रीस (Greece) पर कुदरत का कहर जारी है, देश के अलग-अलग हिस्सों में लगी आग की वजह से बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. प्रधानमंत्री क्यारीकोस मित्सोटाकिस (Kyriakos Mitsotakis) ने सोमवार को एक टेलीविजन संबोधन में कहा, ग्रीस अभूतपूर्व रूप से प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहा है. देश के चारों ओर 586 जगह जंगलों में आग लगी (Greece Wildfires) हुई है. उन्होंने कहा, ग्रीस अब तक की सबसे खराब हीटवेव का सामना कर रहा है. देशभर में दमकलकर्मी जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि 63 जगहों से लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है. उन्होंने जंगल की आग पर काबू पाने में सरकार की ओर से किसी भी तरह की कमजोरियों के लिए माफी भी मांगी है. पीएम ने कहा, पिछले कुछ दिन हमारे देश के लिए काफी कठिन रहे हैं. बड़े स्तर पर हीटवेव की वजह से राहत कार्यों में बाधा पैदा हो रही है. वहीं, जंगल में लगी आग ने पिछले एक हफ्ते में सैकड़ों घरों को नष्ट कर दिया और दर्जनों गांवों को खाली करने के लिए लोगों को मजबूर किया है. पर्यावरण अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि लगातार सूखे की मार झेल रहे दक्षिणी यूरोप पर जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा जोखिम है

मानवीय रूप से संभव हर कार्य किया: ग्रीस पीएम

अपने संबोधन में ग्रीस के पीएम ने कहा, ये बात स्पष्ट है कि जलावायु संकट पूरे ग्रह को प्रभावित कर रहा है. ये सिर्फ एक स्पष्टीकरण है, लेकिन कोई बहाना नहीं है. हमने वह सब कुछ किया जो मानवीय रूप से संभव था. लेकिन कई मामलों में ये प्रकृति के साथ जारी असमान लड़ाई में पर्याप्त नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों को प्रॉपटी को नुकसान पहुंचा है, उन्हें मुआवजा दिया जाएगा. सोमवार को जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी पैनल की एक अत्याधुनिक रिपोर्ट में बताया गया कि मनुष्य की गतिविधियों की वजह से जलवायु संकट पैदा हुआ है. इस वजह से पृथ्वी पर व्यापक और तेज गति से बदलाव होते हुए देखा जा सकता है.

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में क्या कहा गया?

दरअसल, संयुक्त राष्ट्र की छठी आकलन रिपोर्ट (AR6) 'जलवायु परिवर्तन 2021: भौतिक विज्ञान आधार' में कहा गया है ग्लोबल वार्मिंग के 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ने पर पृथ्वी पर हीटवेव में वृद्धि, लंबा गर्म मौसम और कम ठंडा मौसम देखने को मिलेगा. वहीं, अगर ग्लोबल वार्मिंग का स्तर 2 डिग्री सेल्सियस हो जाता है तो गर्मी इतनी बढ़ जाएगी कि कृषि और स्वास्थ्य के लिए इसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाएगा. इसमें कहा गया है कि दुनिया के हर क्षेत्र में मानव प्रभाव के कारण जलवायु में परिवर्तन हो रहे हैं. पृथ्वी का भविष्य और भी गंभीर नजर आ रहा है. अत्यधिक तापमान में वृद्धि का मतलब है कि धरती पर लगातार मौसम में परिवर्तन देखने को मिलेंगे.

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