गेहूं निर्यात बैन को सरकार बता रही महंगाई रोकने वाला कदम, यूरोपीय बाजार में मची खलबली
वैश्विक बाजार में कीमतों की उछाल को देखते हुए वह अपने 1.4 बिलियन लोगों की खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंतित है.
भारत की ओर से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद यूरोपीय बाजार में गेहूं की कीमतों में सोमवार को भारी उछाल देखने को मिला. बता दें कि कुछ दिनों पहले ही भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात (Export) पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी. इसके एक्सपोर्ट को 'प्रतिबंधित' सामानों की कैटेगरी में डाल दिया गया था. इसकी एक बड़ी वजह इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं के दामों में बेहताशा तेजी आना रहा था.
सप्ताह के पहले दिन ऐसे खुला यूरोपीय बाजार
इस प्रतिबंध के बाद सोमवार को यूरोपीय बाजार खुलते ही गेहूं के दाम 435 यूरो ($453) प्रति टन पहुंच गए. इस साल फरवरी में रूस की ओर से यूक्रेन के खिलाफ जंग के ऐलान और उसके एग्रीकल्चर पॉवर हाउस पर हमले के बाद वैश्विक स्तर पर गेहूं की आपूर्ति नहीं होने की आशंका बढ़ गई. जिसकी वजह से कीमतों में उछाल देखा गया.
इस फैसले से किसानों को नुकसान?
इस मामले में किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर लगाए गए बैन की वजह से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. क्योंकि सरकार ने अब गेहूं खरीद के नियमों में ढील देने का फैसला किया है, कई किसान इसे भी अपने लिए नुकसान मान रहे हैं. किसानों का मानना है कि गेहूं पर लगाए गए निर्यात बैन की वजह से अब वे कम दामों में अपनी उपज बेचने को मजबूर होंगे, वहीं दूसरी तरफ सरकार ने खरीद के नियमों में जो ढील दी है, उसका फायदा किसानों से ज्यादा उन निजी प्लेयर्स को होने वाला है जिन्होंने उनसे काफी पहले ही गेहूं खरीद लिया था.
दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है भारत
गौरतलब है कि पूरी दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश भारत ही है. भारत द्वारा शनिवार को निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया. भारत ने कहा कि वह गेहूं के कम उत्पादन और वैश्विक बाजार में कीमतों की उछाल को देखते हुए वह अपने 1.4 बिलियन लोगों की खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंतित है.