म्यांमार में कई शीर्ष अधिकारियों और सरकारी क्षेत्र की तेल एवं गैस कंपनी पर यूरोपीय संघ ने लगाया रोक
अधिकारियों और सरकारी क्षेत्र की तेल एवं गैस कंपनी पर यूरोपीय संघ ने लगाया रोक
ब्रसेल्स, एजेंसी। यूरोपीय संघ (ईयू) ने म्यांमार में कई शीर्ष अधिकारियों और सरकारी क्षेत्र की तेल एवं गैस कंपनी पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन सभी पर एक साल पहले देश की निर्वाचित सरकार का तख्तापलट करने में सेना की आर्थिक मदद करने के आरोप हैं।ईयू ने इनकी संपत्ति जब्त करने और 22 अधिकारियों की यात्रा पर प्रतिबंध लगाया है। इसके अलावा सरकारी एवं निजी कंपनियों समेत चार उद्यमों के खिलाफ भी प्रतिबंध लगाया है।
दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र के साथ काम करने वाले स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ एंड्रेव ने तख्तापलट के बाद म्यांमार की सेना को नागरिकों के खिलाफ हथियार की आपूर्ति करने के लिए चीन और रूस की आलोचना की है। इधर, म्यांमार में सैन्य शासन के विरोधियों ने मंगलवार को देश के कई शहरों में प्रदर्शन किए। गिरफ्तारी की चेतावनी के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर सैन्य शासन का विरोध किया। बता दें कि गत वर्ष एक फरवरी को सेना लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को अपदस्थ कर सत्ता पर काबिज हो गई थी।
2019 में यूएन मिशन ने इन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी की थी। संघ की तरफ से सेना के अंतर्गत आने वाली कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। इनमें म्यांमार इकोनामिक होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड और म्यांमार इकोनामिक कार्पोरेशन का नाम शामिल है, जिनका कारोबार पूरे देश में फैला है। जिन कंपनियों पर प्रतिबंध की तलवार लटकी हुई है वह मुख्य रूप से खनन, उत्पादन और खाने-पीने की चीजों से लेकर होटलों, टेलीकाम और बैंकिंग क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देती हैं। यह कंपनियां देश के बड़े करदाताओं के रूप में पहचानी जानी जाती हैं। इन कंपनियों ने पूर्व में व्यापार को फैलाने के लिए अन्य विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी करने की भी कोशिश की थी। इन कंपनियों पर यूं तो पहले से ही अंतरराष्ट्रीय संगठनों की निगाह रही है। वर्ष 2019 में यूएन मिशन ने भी इन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी। इसमें कहा गया था कि ये कंपनियां सेना को पैसे के अलावा भी कई चीजें मुहैया करवाती हैं, जिनका इस्तेमाल सेना मानवाधिकार उल्लंघन के तौर पर करती है।)
आपको बता दें कि ईयू ने पहले ही म्यांमार के खिलाफ हथियारों के व्यापार पर रोक लगा रखी है। इसके अलावा ईयू ने वर्ष 2018 में भी सेना के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाए थे। जहां तक म्यांमार के सैन्य शासकों और उससे जुड़े अधिकारियों पर प्रतिबंध का सवाल है तो जर्मनी का कहना था कि उनके निशाने पर वो देश हैं जो सैन्य शासन के खिलाफ सड़कों पर उतरे मासूम लोगों की आवाज दबाने में जिम्मेदार रहे हैं। इन प्रतिबंधों से आम लोगों का कोई वास्ता नहीं है। जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास का कहना है कि सैन्य शासन में की जा रही हत्याओं की संख्या अब बर्दाश्त के बाहर हो चुकी है. ऐसे में प्रतिबंध लगने से नहीं रुकेगा।