अमेरिका के इस इलाके में मंडराया महासुनामी का खतरा...वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी
जलवायु परिवर्तन के खतरे को लेकर दुनिया के पर्यावरणविद और वैज्ञानिक लंबे समय से चेता रहे हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जलवायु परिवर्तन के खतरे को लेकर दुनिया के पर्यावरणविद और वैज्ञानिक लंबे समय से चेता रहे हैं. उनके अलावा ही नहीं बल्कि प्रकृति भी चेतावनी और संकेत देने लगी है. कोई शोध अलग अलग तरह के खतरों की भविष्यवाणियां कर रहे हैं. ऐसे ही एक शोध में वैज्ञानिकों ने चेताया है कि अमेरिका (USA) के अलास्का में होने वाले भूस्खलन के कारण बहुत बड़ी सुनामी आ सकती है. शोध के मुताबिक यह खतरा आने वाले एक साल की भीतर ही सच हो सकता है.
यूं तो पिछले कुछ समय से पर्वयरण पर हो रहे शोध दुनिया भर में प्रमुख बर्फ (Ice) की चादरों के पिघलने से होने वाले खतरे के प्रति आगाह करते हुए चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन इस तरह की चेतावनी पहली बार दी गई है. इसकी वजह यही है कि बर्फ के व्यापक तौर पर पिघलने (Ice melting) से चट्टानों (Rocks) के बीच की जगह खाली होने से भूस्खलन (landslide) का खतरा पैदा होने लगा है. इसका नतीजा एक सुनामी (Tsunami) के तौर पर हो सकता है
अलास्का (Alaska) के प्राकृतिक संसाधनों के विभाग को इस साल मई में लिखे खुले पत्र में वैज्ञानिकों ने कहा है कि उन्होंने बैरी ग्लेशियर (Barry Glacier) के पास एक पर्वत का अस्थायी ढाल पाया है. इस के नाकाम होने पर सुनामी (Tsunami) पैदा हो सकती है. उनके शोध के मुताबिक ऐसी घटना एक साल में भी हो सकती है या फिर अगले 20 सालों में कभी भी हो सकती है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि सुनामी उन इलाकों को भी प्रभावित कर सकती है जहां टूरिस्ट आते हैं. लोग फिशिंग करते हैं. इससे सैंकड़ों जानों को खतरा होगा
चट्टानों (Rock) का अस्थायी हो जाने का कारण प्रिंस विलियम साउंड (Prince William Sound) में ग्लेशियर (Glacier) का पिघलना होगा, जो कि अलास्का (Alaska) के दक्षिणी तट पर स्थित है. तापामान के बढ़ने और ग्रीन हाउस गैसों (Greenhouse gases) के अप्राकृतिक उत्पादन के कारण दुनिया भर के ग्लेशियर तेजी से पिघलने लगे हैं. अलगा में भी बैरी आर्म (Barry Arm) के ऊपर पहाड़ियों के ढाल में इसका असर देखने को मिल सकता है.
सैटेलाइट(Satellite) की तस्वीरों से पता चला है कि बैरी आर्म (Barry Arm) से बैरी ग्लेशियर (Barry Glacier) के पिघलने से एक बड़ी चट्टान (Rock) का हिस्सा बाहर निकलता दिखने लगा है. विश्लेषण से पता चला है कि यह धीमे बढ़ते भूस्खलन (Landslide) का संकेत है. लेकिन अगर इस चट्टान को रास्ता मिल गया तो इसके नतीजे भयावह हो सकते हैं
इस इलाके में खतरे का सबसे पहला आभास ओहियो (Ohio) की शोधकर्ता चुनली दाई ने साल 2019 में किया था जब वह नासा (NASA) अनुदानित प्रोजेक्ट पर काम कर रही थीं. इसमें आर्कटिक (Arctic) इलाके में होने वाले भूस्खलन (landslide) को स्वतः पहचान करने वाले नई तरीके विकसित किए जाने थे. वे ऐसी टेस्ट साइट की खोज में थीं जहां वे आर्किटकडेम (ArcticDEM) उच्च रिजोल्यूशन डेटासेट का परीक्षण कर सकें और भूस्खलन की स्वतः पहचान के लिए उपयोग में लाई जाने वाली मशीन लर्निंग भी. अपने उपकरणों से उन्हें बैरी आर्म (Barry Arm) इलाके के मुआयना किया और वहां अस्थिर चट्टानें पाईं.
शोधकर्ताओं का कहना है की यह भी मुमकिन है कि इस भूस्खलन (Landslide) से सुनामी (Tsunami) एक ही साल के अंदर आ जाए या फिर अगले दो दशकों में कभी भी. इसके संभावित असर के बारे में बात करते हुए टीम ने इससे पहले अलास्का (Alaska) और ग्रीनलैंड (Greenland) में भूस्खलन के कारण आई सुनामियों की मिसाल दी. अलास्का में ही अक्टूबर 2015 में इस तरह से सुनामी आई थी