दुनिया की जहरीली मछलियों में से एक का रंग बना चर्चा का विषय, जानें क्या है खास?

आइए समझते हैं कि आखिर लगातार अपना रंग बदलने की काबिलियत वाली इस मछली का रंग पीला कैसे हुआ.

Update: 2021-11-23 04:24 GMT

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जापान में हाल ही में एक एक्वेरियम में दुनिया की जहरीली मछलियों में से एक का रंग चर्चा का विषय बना हुआ है. यह एक डेमॉन स्टिंगर (Demon Stinger) मछली है. जिसका रंग पीले सोने जैसा हो गया है. यह मछली इतनी जहरीली होती है कि इसके डंक से इंसान या बड़ी मछलियों को थोड़ी देर के लिए बेहोश कर सकती है. आइए समझते हैं कि आखिर लगातार अपना रंग बदलने की काबिलियत वाली इस मछली का रंग पीला कैसे हुआ. 

जापान के कानागावा (Kanagawa) परफेक्चर के फुजीसावा शहर में स्थित एनोशिमा एक्वेरियम (Enoshima Aquarium) में इन दिनों काफी ज्यादा लोग एक मछली को देखने आ रहे हैं. ये एक दुर्लभ गोल्डेन डेमॉन स्टिंगर (Rare Golden Demon Stinger) है. जापानी सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें वायरल हो रही है. 25 सेंटीमीटर लंबी इस शैतान स्टिंगर मछली को देखने के लिए काफी ज्यादा मात्रा में लोग एक्वेरियम पहुंच रहे हैं. 
दुर्लभ गोल्डेन डेमॉन स्टिंगर (Rare Golden Demon Stinger) को सी-गॉबलिन (Sea Goblin) और डेविल स्टिंगर (Devil Stinger) भी कहते हैं. एक्वेरियम के कर्मचारियों का कहना है कि आमतौर पर इस मछली के शरीर का रंग ग्रे या रेत के रंग का होता है. यह खतरा महसूस होने पर या शिकार करने के लिए अपने शरीर का रंग पानी की तलहटी के हिसाब से बदल लेती है. लेकिन गोल्डेन रंग की मछली पहली बार देखी गई है.
वैज्ञानिक इस मछली की जांच कर रहे हैं कि आखिर इसका रंग गोल्डेन क्यों हुआ. शुरुआती जांच-पड़ताल में वैज्ञानिकों का दावा है कि रंग बदलने के पीछे जीन में म्यूटेशन वजह हो सकती है लेकिन फिलहाल यह कह पाना संभव नहीं है. इसकी जांच की जा रही है कि आखिर यह दुर्लभ गोल्डेन डेमॉन स्टिंगर (Rare Golden Demon Stinger) अपना रंग क्यों नहीं बदल पा रही है. अगर ऐसा नहीं कर पाएगी तो इसके लिए खतरा होगा. 
दुर्लभ गोल्डेन डेमॉन स्टिंगर (Rare Golden Demon Stinger) को वैज्ञानिक भाषा में इनिमिकस डिडैक्टाइलस (Inimicus Didactylus) कहते हैं. इनकी लंबाई 25 से 26 सेंटीमीटर तक बढ़ सकती हैं. इसके शरीर पर चारों तरफ जहरीले कांटे होते हैं. यह देखने में थोड़ी सी फूली हुई दिखती है, जैसे कोई पत्थर का टुकड़ा हो. इसकी सबसे खास बात है इसका रंग बदलना यानी कैमोफ्लॉज. 
डेमॉन स्टिंगर (Demon Stinger) आमतौर पर रात में शिकार करती है. यह चुपचाप पानी की तलहटी में रेत खोदकर उसके अंदर छिपी रहती है. शरीर का रंग ग्रे, लाल, पीला या मूंगा पत्थरों के हिसाब से बदल सकता है. अगर यह अपने प्राकृतिक आवास पर है, तो इसे तलहटी में देख पाना बेहद मुश्किल होता है. क्योंकि यह तलहटी के रंग के हिसाब से अपने शरीर का रंग बदल लेती हैं. 
डेमॉन स्टिंगर की त्वचा पर आम मछलियों की तरह स्केल्स नहीं मिलतीं. जबकि यह छेदनुमा पत्थर की तरह दिखती है. पूरे शरीर पर जहरीले कांटे निकले रहते हैं. इसके अलावा इन कांटों के आसपास छोटी-छोटी ग्रंथियां होती हैं, जो इसे ज्यादा खतरनाक बनाती हैं. सिर चिपटा लेकिन आंखें, मुंह और नाक बाहर की तरफ निकले होते हैं. (फोटोः गेटी)
डेमॉन स्टिंगर (Demon Stinger) घात लगाकर शिकार करती है या हमले से बचती है. सबसे अच्छी बात ये है कि इस मछली को प्राकृतिक तौर पर कोई खतरा नहीं है. क्योंकि इसका शिकार कोई बड़ी मछली या समुद्री जीव नहीं करता. इसके जहरीले कांटों की वजह से. अगर इसे कभी लगता है कि इसे खतरा है तब ये अपने-आप को छिपाकर डंक मारने का प्रयास करती है.
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