भारत के नए राजदूत के कायल हुए चीनी, गर्मजोशी से हो रहा स्वागत, जानें मायने?

Update: 2022-03-17 11:55 GMT

नई दिल्ली: चीन में भारत के नवनियुक्त राजदूत प्रदीप कुमार रावत का चीन में दिल खोलकर स्वागत किया जा रहा है. फर्राटेदार चीनी भाषा बोलने वाले प्रदीप कुमार रावत को लेकर चीन की सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी का मुखपत्र समझे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि प्रदीप कुमार की नियुक्ति दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने में बड़ी भूमिका निभाने का काम करेगी. प्रदीप कुमार की नियुक्ति ऐसे वक्त में हुई है जब दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर 15वीं दौर की बैठक में स्थिरता बनाए रखने पर सहमति बनी है.

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ग्लोबल टाइम्स ने विशेषज्ञों के हवाले से लिखा है कि रावत की नियुक्ति भारत-चीन रिश्तों में सुधार के संकेतों के बीच हुई है. चीन को भी प्रदीप कुमार से बहुत उम्मीदें हैं कि वो दोनों देशों के बीच के रिश्तों को सुधारने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.
ग्लोबल टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है, 'विशेषज्ञों ने कहा कि रावत से चीन को बहुत उम्मीदें हैं कि वो भारत-चीन संबंधों को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं. लेकिन उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि भारत की घरेलू राजनीति भारतीय राजनयिकों को संचालित करती है और जब तक भारत सरकार चीन को एक प्रतिद्वंद्वी के बजाय आपसी उपलब्धि में भागीदार के रूप में नहीं देखती और ठोस कदम नहीं उठाती तब तक दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध रास्ते पर नहीं आएंगे.'
प्रदीप कुमार का गर्मजोशी से स्वागत कर रहे चीनी
प्रदीप कुमार रावत ने 14 मार्च को चीन में भारतीय राजदूत का पदभार ग्रहण किया. चीन में रावत का स्वागत बड़े ही गर्मजोशी के साथ किया जा रहा है. चीन के लोग रावत की नियुक्ति को एक उम्मीद की तरह देख रहे हैं कि वो दोनों देशों के रिश्तों को बेहतर बनाने में बड़ी भूमिका निभाएंगे. लोग कह रहे हैं कि रावत को चीनी भाषा आती है और वो चीन को अच्छे से जानते हैं.
चीनी सोशल मीडिया वीबो पर रावत की नियुक्ति की घोषणा वाले दूतावास की पोस्ट पर चीनी लोगों ने कई टिप्पणियां की है. एक यूजर ने लिखा, 'स्वागत है! आशा है कि आपके प्रयासों से दो प्राचीन सभ्यताएं अपनी बातचीत आगे बढ़ा सकती हैं, मतभेदों को दूर करते हुए कई मुद्दों पर सहमत हो सकती हैं और एक साथ विकास कर सकती हैं.'
एक अन्य यूजर ने लिखा, 'चीन में आपका स्वागत है! एक नजदीक का पड़ोसी, किसी दूर के रिश्तेदार से ज्यादा बेहतर होता है. मुझे उम्मीद है कि चीन-भारत संबंध बेहतर होंगे और हम एशिया की रक्षा के लिए मिलकर काम कर सकते हैं.'
सकारात्मक समय में हुई रावत की नियुक्ति
रावत ने चीन-भारत कोर कमांडर स्तर की बैठक के 15वें दौर के शुक्रवार को संपन्न होने के तीन दिन बाद बतौर राजदूत अपना पदभार ग्रहण किया. चीन-भारत कोर कमांडर स्तर की बैठक में दोनों देश एक समाधान तक पहुंचने के लिए सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत बनाए रखने पर सहमत हुए हैं.
विशेषज्ञों ने कहा कि रावत की ऐसे सकारात्मक समय में नियुक्ति बताती है कि भारत-चीन संबंधों में आने वाले समय में और सुधार आएगा. शिन्हुआ विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय रणनीति संस्थान में अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग ने ग्लोबल टाइम्स से बातचीत में कहा कि कि दोनों देशों के बीच सैन्य वार्ता के सकारात्मक संकेतों के अलावा, चीनी और भारतीय नागरिकों के बीच तनाव भी कम हुआ है. खासकर जब से यूक्रेन के मुद्दे पर दोनों देशों ने निष्पक्ष राय रखी है.
भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों ने इस विवाद पर कहा है कि वो शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए तनाव खत्म करने की अपील कर रहे हैं. कियान फेंग ने कहा, 'यह दो लोगों के बीच दोस्ती को बताता है. यह एक बार फिर दिखाता है कि चीन और भारत प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर बेहद समान दृष्टिकोण रखते हैं.'
चीन-भारत के बीच व्यापार में भी हाल के वर्षों में तेजी आई है. व्यापार 102.29 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. साल 2021 में दोनों देशों के बीच पहली बार व्यापार सौ अरब डॉलर पहुंच गया था.
कई सालों से राजनयिक रहे हैं रावत
रावत ने 1992 और 1997 के बीच हांगकांग और बीजिंग में एक भारतीय राजनयिक के रूप में बतौर राजनयिक काम किया था. वो 1997 में दिल्ली लौट आए और तीन साल से अधिक समय तक पूर्वी एशिया डिवीजन में काम किया. इसके बाद उन्होंने मॉरीशस में भारतीय दूतावास में प्रथम सचिव के रूप में काम किया.
साल 2003 में रावत फिर चीन आए और काउंसलर की भूमिका निभाई. साल 2007 में दूतावास के उप-प्रमुख के रूप में उनकी सेवा समाप्त हो गई. रावत का एक चीनी नाम भी है- लुओ गुओडोंग. भारत की समझ रखने वाले कई चीनी विशेषज्ञ भी रावत से भलीभांति परिचित हैं.
कियान ने कहा कि रावत का काम यह निर्धारित करना होगा कि राजदूत के रूप में वो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने में कैसे काम करें. रावत उस समय चीन में काम कर चुके हैं जब भारत-चीन के संबंध बेहतर थे और वो भारत-चीन संबंधों को अच्छे से समझते हैं. लेकिन साथ ही विश्लेषकों का कहना है कि भारत-चीन संबंधों को सुधारने में रावत की भूमिका सीमित हो सकती है क्योंकि दोनों देशों के संबंधों को ठीक करने में कई तरह की चुनौतियां हैं. 
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