चीनी राजदूत ने ट्वीट कर कही ऐसी बात, श्रीलंकाई तमिलों का फूटा गुस्सा
तमिलों के खिलाफ हुए युद्ध अपराधों पर चीन की तरफ से श्रीलंका का समर्थन करने के फैसले से श्रीलंकाई तमिलों में चीन के खिलाफ काफी गुस्सा है.
तमिलों के खिलाफ हुए युद्ध अपराधों पर चीन की तरफ से श्रीलंका का समर्थन करने के फैसले से श्रीलंकाई तमिलों में चीन के खिलाफ काफी गुस्सा है. जाफना विश्वविद्यालय के तमिल छात्रों ने चीन के राजदूत Qi Zhenhong की तरफ से जेनेवा में होने वाले United Nations Human Rights Council session में वॉर क्राइम्स पर मानव अधिकार हनन पर श्रीलंका के समर्थन में किए गए ट्वीट पर नाराजगी जाहिर की है.
छात्रों ने जारी किया लेटर
जाफना विश्वविद्यालय के तमिल स्टूडेंट यूनियन की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस और उसके बाद छात्रों की तरफ से जारी किए गए लेटर में कहा गया है कि श्रीलंकाई तमिल चीन के राजदूत की तरफ से UN में वॉर क्राइम्स और मानव अधिकार हनन पर श्रीलंका को सपोर्ट किए जाने के फैसले से दुखी हैं. छात्रों ने चीन से मांग की है कि वो तमिलों की मांगे मानते हुए अपने रुख में बदलाव करें.
चीन कर रहा है समर्थन
श्रीलंका में रह रहे तमिलों का आरोप है कि श्रीलंकाई सेना हजारों की संख्या में तमिलों की हत्या, लड़कियों के रेप और हिंसा में शामिल रही है, साथ ही एक साजिश के तहत तमिलों की जमीन पर सिंहली लोगों को बसाया जा रहा है. तमिल छात्रों का कहना है की चीन को ये अच्छी तरह से मालूम है कि श्रीलंका में हुए युद्ध के अंतिम छह महीने में 70,000 से ज्यादा तमिलों की मौत हुई है, साथ ही हजारों की संख्या में तमिल महिलाओं के साथ श्रीलंकाई सेना ने बलात्कार किया है, लेकिन ये सब जानने के बावजूद चीन श्रीलंका सरकार का अंतरराष्ट्रीय मंच पर समर्थन कर रही है.
ब्रिटेन की रिपोर्ट का हवाला
तमिल छात्रों ने ब्रिटेन की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि आज 90,000 से अधिक तमिल विधवाएं काफी बुरी हालत में रह रही हैं. तमिलों का कहना है कि श्रीलंका युद्ध के 30 साल बीत चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद तमिल इलाकों में श्रीलंकाई सेना ने अपने जवानों को तैनात किया हुआ है. तमिल छात्रों का कहना है कि चीनी राजदूत अपने ट्वीट को डिलीट करते हुए माफी मांगें. चीन के राजदूत ने कहा था कि चीन मानवाधिकार के मुद्दे पर उन देशों के विपरीत श्रीलंका का समर्थन करेगा, जिन्होंने श्रीलंका पर शासन या आक्रमण किया था.
भारत ने जाहिर की सुरक्षा चिंता
पिछले दिनों श्रीलंका के हंबनटोटा में चीनी सेना (PLA) के एक वेसेल (Vessel) की डॉकिंग पर भारत ने सुरक्षा चिंता जाहिर की थी और श्रीलंका सरकार से ये गुजारिश की थी कि वो उसकी सुरक्षा चिंताओं को समझते हुए चीन के जहाज को न आने दे, लेकिन श्रीलंका ने भारत की तमाम सुरक्षा चिंताओ को दरकिनार करते हुए चीनी पोत युआन वांग 5 को डॉक करने की इजाजत दे दी थी.
श्रीलंका का विरोध करना मुश्किल
चीन के कर्ज जाल में फंसे श्रीलंका के लिए अब चीन का विरोध करना काफी मुश्किल होता जा रहा है. पिछले दिनों श्रीलंका में महंगाई को लेकर श्रीलंका में काफी बड़ा प्रदर्शन देखने को मिला था. श्रीलंकाई तमिलों को डर है कि कहीं चीन के दवाब में आकर श्रीलंका उनकी जमीन को भी श्रीलंका को न सौंप दे.