बार एसोसिएशन आफ श्रीलंका ने कर्फ्यू का किया विरोध, अमेरिकी राजदूत ने किया यह आग्रह

अर्थव्यवस्था ठीक नहीं होगी और न ही राजनीतिक स्थिरता आएगी, जिसकी श्रीलंका को अभी जरूरत है।"

Update: 2022-07-09 08:15 GMT

श्रीलंकाई पुलिस ने शीर्ष वकीलों के संघ, मानवाधिकार समूह और राजनीतिक दलों के लगातार दबाव में आने के बाद शनिवार को सरकार विरोधी प्रदर्शनों से पहले कोलंबो सहित देश के पश्चिमी प्रांत में सात संभागों में लगाया गया कर्फ्यू हटा लिया है। पुलिस ने कहा कि पश्चिमी प्रांत में सात पुलिस डिवीजनों में कर्फ्यू लगाया गया था, जिसमें नेगोंबो, केलानिया, नुगेगोडा, माउंट लाविनिया, कोलंबो नार्थ, कोलंबो साउथ और कोलंबो सेंट्रल शामिल हैं। शुक्रवार रात 9 बजे से अगली सूचना तक कर्फ्यू को हटा लिया गया है।

पुलिस महानिरीक्षक (IGP) सी डी विक्रमरत्ने ने शुक्रवार को घोषणा की, 'जिन क्षेत्रों में पुलिस कर्फ्यू लागू किया गया था, वहां रहने वाले लोगों को खुद को अपने घरों तक सीमित रखना चाहिए। कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानून को सख्ती से लागू किया जाएगा।'
बार एसोसिएशन आफ श्रीलंका ने कर्फ्यू का किया विरोध

बार एसोसिएशन आफ श्रीलंका ने पुलिस कर्फ्यू का विरोध करते हुए इसे 'अवैध और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन' करार दिया। इसका कहना है, 'इस तरह का कर्फ्यू स्पष्ट रूप से अवैध है और हमारे देश के लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है जो अपने मूल अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहने पर राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और उनकी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।'
बार एसोसिएशन आफ श्रीलंका ने आगाह किया कि कर्फ्यू का उद्देश्य अभिव्यक्ति और असंतोष की स्वतंत्रता को रोकना है, जो श्रीलंका की अर्थव्यवस्था और इसकी सामाजिक, राजनीतिक और अंतर्राष्ट्रीय स्थिति को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाएगा।
श्रीलंका के मानवाधिकार आयोग ने पुलिस कर्फ्यू को मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन बताया।
मानवाधिकार आयोग का कहना है कि पुलिस महानिरीक्षक द्वारा मनमाने ढंग से पुलिस कर्फ्यू लगाना अवैध है। यह आईजीपी को इस अवैध आदेश को तुरंत वापस लेने का निर्देश देता है जो लोगों के मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है।
शुक्रवार को श्रीलंका की व्यावसायिक राजधानी कोलंबो में पुलिस ने सप्ताह के अंत में होने वाली रैली से पहले छात्र प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस और पानी की बौछारें दागने के बाद कर्फ्यू लगा दिया। सात दशकों में श्रीलंका सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है, जिसको लेकर सार्वजनिक आक्रोश बढ़ गया है।

राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग

शनिवार को राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे के इस्तीफे की मांग करते हुए धार्मिक नेताओं, राजनीतिक दलों, चिकित्सकों, शिक्षकों, नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं, किसानों और मछुआरों द्वारा देश भर से कोलंबो तक रैली मार्च की योजना बनाई गई है। उन्होंने देश की आर्थिक दुर्दशा के लिए राष्ट्रपति राजपक्षे को दोषी ठहराया है।

अमेरिकी राजदूत ने कहा- हिंसा कोई जवाब नहीं है

इस बीच, श्रीलंका में अमेरिकी राजदूत जूली चुंग ने शुक्रवार को देश की सेना और पुलिस से शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने का आग्रह किया। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'हिंसा कोई जवाब नहीं है। अराजकता से अर्थव्यवस्था ठीक नहीं होगी और न ही राजनीतिक स्थिरता आएगी, जिसकी श्रीलंका को अभी जरूरत है।"

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