दक्षिण कोरिया में टॉयलेट यूज करने पर मिल रहे हैं पैसे, जानें वजह

दक्षिण कोरिया की एक यूनिवर्सिटी टॉयलेट यूज करने पर पैसे दे रही है. हालांकि यह पैसा डिजिटल मनी के रूप में दिया जा रहा है.

Update: 2021-07-13 13:00 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| दक्षिण कोरिया: दक्षिण कोरिया की एक यूनिवर्सिटी टॉयलेट यूज करने पर पैसे दे रही है. हालांकि यह पैसा डिजिटल मनी के रूप में दिया जा रहा है. यह टॉयलेट उल्सान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (UNIST) में है. UNIST दक्षिण कोरिया की 4 पब्लिक यूनिवर्सिटीज में से एक है, जो कि साइंटिफिक और टेक्‍नॉलॉजिकल रिसर्च के लिए समर्पित है.

टॉयलेट यूज करने पर इसलिए मिल रहे हैं पैसे
दरअसल यह टॉयलेट यूनिवर्सिटी की एक लैब से जुड़ी हुई जो इस हयूमन वेस्‍ट से बायोगैस (Biogas) और खाद बनाता है. इस टॉयलेट को यूएनआईएसटी में पर्यावरण इंजीनियरिंग के प्रोफेसर चो जे-वेन (Professor Cho Jae-weon) ने डिजाइन किया है. इसका नाम बीवी (Beevi) रखा गया है.
इस टॉयलेट को यूज करने पर यूजर को Ggool नाम की डिजिटल मनी मिलती है. यूजर रोजाना 10 Ggool कमा सकते हैं और इस डिजिटल मनी (Digital Money) का उपयोग कैंपस में कॉफी, इंस्टेंट नूडल्स, फल और किताबें आदि खरीदने के लिए कर सकते हैं.
टॉयलेट से निकले वेस्‍ट से बनती है बिजली
टॉयलेट से हयूमन वेस्‍ट (Human Watse) को भूमिगत टैंक में धकेलने के लिए एक वैक्यूम पंप का इस्‍तेमाल होता है. इससे पानी की बर्बादी कम होती है. इसके बाद सूक्ष्मजीव (Microorganisms) मल को मिथेन में तोड़कर उसे ऊर्जा स्रोत में बदल देते हैं. इस प्रक्रिया से निकाली गई ऊर्जा से बिजली बनाकर उसका उपयोग यूनिवर्सिटी की एक बिल्डिंग में गैस स्‍टोव चलाने और गर्म पानी के बॉयलर जलाने में किया जाता है.
कीमती है हयूमन वेस्‍ट
प्रोफेसर जे-वेन कहते हैं, 'अगर हम लीक से हटकर सोचें, तो ऊर्जा और खाद बनाने के लिए मानव मल कीमती साबित हो सकता है. एक औसत व्यक्ति एक दिन में लगभग 500 ग्राम हयूमन वेस्‍ट निकालता है. इसे 50 लीटर मीथेन में बदला जा सकता है. यह एक कार को लगभग 0.75 मील तक चलाने के लिए पर्याप्त ऊर्जा पैदा कर सकता है, जिससे 0.5kWh बिजली पैदा होती है.'
यूनिवर्सिटी में टॉयलेट यूज करने पर डिजिटल मनी मिलने की स्‍कीम ने खासी चर्चा पैदा कर दी है. यूनिवर्सिटी के एक पोस्‍ट-ग्रैजुएट स्‍टूडेंट ने कहा, 'मैं पहले सोचता था कि हयूमन वेस्‍ट गंदी चीज है, लेकिन अब ऐसा नहीं है क्‍योंकि इससे मुझे पैसे मिलते हैं. अब मैं खाना खाने के दौरान भी इसके बात कर लेता हूं ताकि मैं अपनी मनपसंद किताब खरीदने के बारे में सोच सकूं.'


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