आतंकी ओसामा का लेटर हुआ वायरल, खुले कई राज- 'बाइडेन को राष्ट्रपति बनाने के लिए ओबामा को मार दो'

तालिबान ने एक बार अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. इसे अमेरिका का असफल मिशन तक कहा जा रहा है.

Update: 2021-08-21 09:41 GMT

अल कायदा के खूंखार आतंकी ओसामा बिना लादेन ने अपनी मौत से पहले एक लेटर लिखा था, जो अब वायरल हो रहा है. इसमें उसने संगठन की हिट स्क्वाड से तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और पूर्व सीआईए निदेशक जनरल डेविड पेट्रोस को मारने का आदेश दिया था. लेकिन उसने बाइडेन (Joe Biden) को छोड़ने के लिए कह दिया, जो ओबामा प्रशासन में उप राष्ट्रपति थे. लादेन ने कहा था, 'बाइडेन राष्ट्रपति पद के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं और अगर ओबामा को मारे जाने के बाद वो राष्ट्रपति बन गए तो अमेरिका संकट में पड़ जाएगा.'

लादेन का 2010 में लिखा गया ये 45 पन्ने का लेटर उन दस्तावेजों में शामिल है, जो आतंकी के पाकिस्तान स्थित कम्पाउंड से मिला था. जहां 2011 में उसे अमेरिकी सैनिकों ने मौत के घाट उतारा था (Osama Letter Joe Biden). लादेन ने दो टीमों को पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रखने के लिए कहा था ताकि यात्राओं के दौरान पेट्रोस और ओबामा को मारने के लिए 'उनमें से किसी एक के विमान को निशाना बनाया जा सके.'
बाइडेन की हो रही आलोचना
ये लेटर सबसे पहले साल 2012 में प्रकाशित हुआ था. लेकिन अब एक बार फिर चर्चा में इसलिए आ गया है क्योंकि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी हो गई है और तालिबान सत्ता में आ गया है (Taliban Afghanistan News). और पूरी दुनिया बाइडेन पर उंगली उठा रही है. उनकी काफी आलोचना की जा रही है कि उन्होंने अफगानिस्तान को मुश्किल वक्त में छोड़ दिया है. बिन लादेन के अनुसार, '9/11 और उसके बाद अफगानिस्तान पर अमेरिकी आक्रमण ने 'मुसलमानों में अपने साथी मुजाहिदीनों के प्रति सहानुभूति को भर दिया है.'
तालिबान संग करीबी रिश्ता
तालिबान और अल कायदा को एक दूसरे का काफी करीबी माना जाता है. अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर जब हमला हुआ तो उसका आरोप ओसामा बिन लादेन पर लगा (Al Qaeda Relations With Taliban). खबर आई कि वो अफगानिस्तान में छिपा हुआ है. जिसके बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला बोल दिया और 2001 में तालिबान को सत्ता से उखाड़ फेंका. इस साल राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन ने इस देश से अपने सैनिकों की वापसी कराने का फैसला लिया था. वापसी पूरी तरह हुई भी नहीं थी कि तालिबान ने एक बार अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. इसे अमेरिका का असफल मिशन तक कहा जा रहा है.

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