अफगानिस्तान में आतंकी संगठन आईएस-के बना बड़ा खतरा
काबुल एयरपोर्ट पर धमाके से साफ है कि अफगानिस्तान में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का सहयोगी गुट खुरासान सबसे बड़ा खतरा बन गया है।
काबुल एयरपोर्ट पर धमाके से साफ है कि अफगानिस्तान में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का सहयोगी गुट खुरासान (आईएस-के) सबसे बड़ा खतरा बन गया है।
यही वजह है कि बृहस्पतिवार को धमाके से पहले ही अमेरिकी दूतावास ने अमेरिकियों को हवाईअड्डे और उसके आसपास के जगहों पर मौजूद लोगों को फौरन दूर जाने को कहा था। इससे पहले खुद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन मान चुके हैं कि आईएस-के अमेरिका, सहयोगी फौज और हामिद करजई हवाईअड्डे पर निर्दोष लोगों को निशाना बना सकता है।
फ्रांस आज रात से बंद करेगा बचाव अभियानफ्रांस के प्रधानमंत्री ज्यां कास्ते ने कहा है कि उनका देश शुक्रवार रात के बाद से काबुल हवाईअड्डे से लोगों को निकाल नहीं पाएगा।
पहले तालिबान और अब आईएस-के के बढ़ते खतरे को देखते हुए ही अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि वे तात्कालिक व दीर्घकालिक आतंकवादी चुनौतियों से निपटने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना था कि सबसे पहला खतरा काबुल हवाईअड्डे पर ही है। एक अधिकारी ने माना था कि अमेरिका आईएस-के के संभावित निशानों को लेकर सतर्कता बनाए हुए है।
अफगानिस्तान में बाहर से घुसे दस हजार आतंकी
जून में संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि बीते कुछ महीनों में मध्य एशिया, उत्तरी रूस, पाकिस्तान और चीन के शिनजियांग प्रांत के आठ से दस हजार आतंकवादी अफगानिस्तान में घुस गए हैं। इनमें ज्यादातर दहशतगर्द तालिबान या अलकायदा और आईएस-के जैसे संगठनों से जुड़े हैं।
अमेरिका ने किया था आगाह
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने आईएस-के के हमलेे की आशंका जताते हुए अपने सैनिकों व तालिबान को आगाह भी किया था।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहउल्लाह मुजाहिद ने भी आईएस-के के हमलों की आशंकाओं को स्वीकार किया था।
आईएस-के छह साल पहले असंतुष्ट पाक तालिबानियों ने बनाया था। इसने अफगानिस्तान में दर्जनों हमले किए हैं। इसका ताल्लुक हक्कानी नेटवर्क से भी माना जा रहा है।
हाफिज खान के मारे जाने के बाद जून 2020 से इसकी कमान शहाब एल मुहाजिर के हाथों में आ गई है, जिसके बाद गुट को अफगानिस्तान में खतरे के रूप में देखा जाने लगा है।
काबुल में उड़ान अब सुरक्षित नहीं : डेनमार्क
डेनमार्क के रक्षा मंत्री ट्राइन ब्रैमसेन ने आगाह किया है कि काबुल में आने-जाने वाले विमान अब सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने कहा, अफगानिस्तान की राजधानी से आने वाले आखिरी विमान में डेनमार्क के आखिरी सैनिक और राजनयिक समेत 90 लोग सवार हैं।